Thursday, April 25, 2024
Advertisement

मध्यप्रदेश में तोड़ा गया राजघाट, मेधा पाटकर ने कहा- 'महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या'

मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट को तोड़ने की कार्रवाई को नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या करार दिया है।

IANS Reported by: IANS
Updated on: July 27, 2017 23:22 IST
medha patkar- India TV Hindi
medha patkar

बड़वानी: मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में नर्मदा नदी के तट पर स्थित राजघाट को तोड़ने की कार्रवाई को नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख मेधा पाटकर ने महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या करार दिया है। नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई 138 मीटर की जा रही है। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि 31 जुलाई से पूर्व बांध की ऊंचाई बढ़ाने से डूब क्षेत्र में आने वाले गांव के निवासियों का पुनर्वास किया जाए। नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ने से राजघाट भी डूब क्षेत्र में आने वाला था।

मेधा पाटकर पुनर्वास न होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार सुबह बेमियादी उपवास पर बैठने वाली थी। वे जब वहां पहुंची तो देखा कि राजघाट को तोड़ दिया गया है और अस्थि कलशों को जेबीसी में ले जाया जा रहा है। इसका उन्होंने विरोध किया। उन्होंने संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा, "राजघाट को हटाना था तो उसकी बेहतर तैयारी की जानी चाहिए, महात्मा गांधी लोगों के दिल में बसते हैं। बड़वानी में जो कृत्य हुआ है, वह महात्मा गांधी की दूसरी बार हत्या जैसा है।"

उन्होंने कहा, "राज्य सरकार असंवेदनशील हो चुकी है, वह न्यायालय में झूठी जानकारियां दे रही है, इतना ही नहीं विस्थापित होने वाले परिवारों की जो सूची बनाई है वह भी गड़बड़ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ने से प्रभावित होने वाले परिवारों की समस्या पर चर्चा तक को तैयार नहीं हैं। जनतंत्र में ऐसा नहीं होता है, जैसा मध्यप्रदेश में हो रहा है।"

उन्होंने कहा कि गुजरात को पानी की जरूरत नहीं है, वहां इस समय बाढ़ के हालात हैं, इसलिए बांध की ऊंचाई बढ़ाने के काम को एक वर्ष के लिए रोक देना चाहिए, ताकि विस्थापन का काम बेहतर तरीके से हो सके।

गौरतलब है कि बड़वानी में बनाई गई 'राजघाट' समाधि में महात्मा गांधी ही नहीं कस्तूरबा गांधी और उनके सचिव रहे महादेव देसाई की देह राख (एश) रखी हुई थी। इस स्थान पर गांधीवादी काशीनाथ त्रिवेदी तीनों महान विभूतियों की देह राख जनवरी, 1965 में लाए थे और समाधि 12 फरवरी, 1965 को बनकर तैयार हुई थी।

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement