Thursday, March 28, 2024
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राजस्थान में जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाईं बजट की कई प्रमुख घोषणाएं: CAG

राजस्थान में सरकारों द्वारा बजट भाषणों में जोर-शोर से की जाने वाली कई महत्वपूर्ण घोषणाएं जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई हैं।

Bhasha Written by: Bhasha
Published on: July 21, 2019 12:58 IST
राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे- India TV Hindi
Image Source : PTI राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (File Photo)

जयपुर: राजस्थान में सरकारों द्वारा बजट भाषणों में जोर-शोर से की जाने वाली कई महत्वपूर्ण घोषणाएं जमीनी स्तर पर लागू नहीं हो पाई हैं। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक कैग ने इस मुद्दे को उठाते हुए बजट घोषणाओं के बेहतर कार्यान्वयन और निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कोई व्यवस्था बनाने का सुझाव दिया है। CAG ने 31 मार्च 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष के लिए राज्य वित्त पर अपनी रिपोर्ट में यह टिप्पणी की है। इस रिपोर्ट को इसी सप्ताह विधानसभा के पटल पर रखा गया। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि मार्च 2017 में तत्कालीन सरकार ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट पेश करते समय कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणाएं की। लेकिन, लेखा परीक्षण में पाया गया कि इनमें से अनेक महत्वपूर्ण घोषणाओं पर या तो कोई काम नहीं हुआ या आंशिक ही कार्यान्वयन हुआ। CAG ने अपनी रिपोर्ट में जिन विभागों में बजटीय घोषणाओं के कार्यान्वयन में कमी पाई है, उनमें वन, खनन, महिला एवं बाल विकास, महाविद्यालय शिक्षा एवं चिकित्सा शिक्षा शामिल है।

CAG के अनुसार, सरकार ने उक्त बजट में राज्य में आठ महाविद्यालयों में 48 करोड़ रुपये की लागत से नये भवनों के निर्माण का प्रस्ताव किया गया था लेकिन लेखा परीक्षण में वास्तविक स्थिति कुछ और ही निकली। सारी राशि की वित्तीय स्वीकृति के बावजूद केवल तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए और केवल तीन सरकारी महाविद्यालयों के भवनों का निर्माण कार्य शुरू हुआ।

इसी तरह, जोधपुर के मेडिकल कॉलेज में दस करोड़ रुपये की लागत से कैथलैब मशीन खरीदी जानी थी लेकिन पूरा साल निकल गया और केवल मशीनरी खरीदने की निविदा प्रक्रिया ही शुरू की जा सकी। कैग ने अन्य विभागों में भी बजट में घोषित परियोजनाओं के कार्यान्वयन में ढिलाई को इस रिपोर्ट में रेखांकित किया है। जैसे- खनन प्रभावित इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए कल्याणकारी गतिविधियों पर 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे लेकिन वास्तव में केवल 119.18 करोड़ रुपये ही खर्च किए गए।

CAG ने कहा कि लोक लेखा समिति कई बार बजट भाषणों में शामिल कामों को समय पर पूरा करने की सिफारिश कर चुकी है लेकिन इस मामले में ढिलाई आलोच्य वित्त वर्ष (2017-18) में भी जारी रही। कैग ने बजटीय घोषणा का समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए बेहतर कार्यान्वयन एव निगरानी की कोई व्यवस्था बनाए जाने की जरूरत बताई।

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