Friday, March 29, 2024
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जानें, सुप्रीम कोर्ट विवाद पर देश के पूर्व जजों की क्या है राय

देश के एक पूर्व चीफ जस्टिस व दो अन्य पूर्व जजों ने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ कार्यरत जजों द्वारा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के खिलाफ उठाई गई शिकायत को 'अभूतपूर्व' बताया और कहा कि जल्द ही पूर्ण अदालत की एक बैठक बुलाई जानी चाहिए।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 12, 2018 19:30 IST
supreme court judges pc- India TV Hindi
Image Source : PTI supreme court judges pc

तिरुवनंतपुरम: देश के एक पूर्व चीफ जस्टिस व दो अन्य पूर्व जजों ने सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ कार्यरत जजों द्वारा शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट प्रशासन के खिलाफ उठाई गई शिकायत को 'अभूतपूर्व' बताया और कहा कि जल्द ही पूर्ण अदालत की एक बैठक बुलाई जानी चाहिए। पूर्व चीफ जस्टिस के.जी.बालाकृष्णन ने मीडिया से कहा कि चार जजों ने जो किया, वह न तो उसके पक्ष में है और न खिलाफ हैं। उन्होंने कहा, "जो भी कुछ घटित हो रहा है, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है और इससे बचा जाना चाहिए।"

पूर्व चीफ जस्टिस बालकृष्णन ने कहा, "न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं होना चाहिए और ये घटनाएं आम आदमी को यह एहसास करा सकती हैं कि चीजें सही तरीके से नहीं चल रही हैं। पूर्ण अदालत की बैठक तुरंत बुलाई जानी चाहिए।" शीर्ष अदालत से बतौर जज सेवानिवृत्त हुए जस्टिस के.टी. थॉमस ने कहा, "अब गेंद प्रधान न्यायाधीश (दीपक मिश्रा) के पाले में है, जो इस मुद्दे को हल करने में सबसे सक्षम व्यक्ति हैं।"

थॉमस ने कहा, "ऐसा कभी नहीं हुआ है कि जजों ने संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया हो। मैंने पत्र में पढ़ा है कि चार जजों ने प्रक्रियागत खामियों की बात की और अब सीजेआई को अपनी बात रखनी है। पूर्ण अदालत बुलाई जानी चाहिए।" शीर्ष अदालत के एक अन्य रिटायर्ड जस्टिस के.एस.राधाकृष्णन ने कहा कि जजों का सात पृष्ठों का पत्र 'सामान्य' है। राधाकृष्णन ने कहा, "पत्र में साफ तौर बताया जाना चाहिए था कि कौन-सा मामला है और यह विवरण है। सामान्य नियम है कि यदि किसी जज का किसी मामले में किसी भी तरह का हित जुड़ा है तो उसे उस जज द्वारा नहीं सुना जाना चाहिए।"

सुप्रीम कोर्ट में दूसरा स्थान रखने वाले जस्टिस जे. चेलमेश्वर ने अपने निवास पर शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन आयोजित किया। इसमें न्यायाधीशों ने कहा कि उन्हें इसे लेकर कोई खुशी नहीं है कि जिस बात को लेकर वे परेशान थे, उसे उन्हें सार्वजनिक करने को मजबूर होना पड़ा है। जस्टिस चेलमेश्वर के साथ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस कुरियन जोसेफ व जस्टिस मदन बी.लोकुर भी थे। उन्होंने कहा, "हम सभी का मानना है कि जबतक इस संस्था को बचाया नहीं जाता और इसे इसकी जरूरतों अनुरूप बनाया नहीं रखा जाता, देश में या किसी भी देश में लोकतंत्र नहीं जिंदा नहीं रह पाएगा।"

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