Thursday, March 28, 2024
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ट्रेनों में सैनिकों की आवाजाही की जानकारी रखी जाए गुप्त: रेलवे ने क्षेत्रीय कार्यालयों से कहा

पुलवामा आतंकी हमले के बाद रेलवे ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे ट्रेनों के जरिए सैनिकों की आवाजाही और सैन्य उपकरणों के परिवहन से संबंधित जानकारी को गोपनीय रखें जिससे कि किसी तरह की सूचना लीक न हो पाए।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 24, 2019 18:26 IST
Representational pic- India TV Hindi
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नई दिल्ली: पुलवामा आतंकी हमले के बाद रेलवे ने अपने क्षेत्रीय कार्यालयों को निर्देश दिया है कि वे ट्रेनों के जरिए सैनिकों की आवाजाही और सैन्य उपकरणों के परिवहन से संबंधित जानकारी को गोपनीय रखें जिससे कि किसी तरह की सूचना लीक न हो पाए। रेलवे ने सीआरपीएफ के जवानों पर हमले के दो दिन बाद 16 फरवरी को एक पत्र के जरिए निर्देश दिए। पुलवामा आतंकी हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के 40 जवान शहीद हो गए थे।

निर्देश में कहा गया है कि सैनिकों और तोप तथा टैंक जैसे भारी उपकरणों को लाने-ले जाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली ट्रेनों से संबंधित जानकारी गुप्त रखी जाए। इसमें कहा गया है, ‘‘विशेष सैन्य ट्रेनों की आवाजाही के संबंध में कोई भी सूचना ऐसे व्यक्ति को भी नहीं दी जाए जो खुद को वरिष्ठ रेलवे अधिकारी, रक्षा या खुफिया अधिकारी दर्शाकर सूचना मांगना चाहता हो।’’

मिलरेल से जारी आदेश में कहा गया है कि रेलवे के सभी मंडलों और क्षेत्रीय कार्यालयों को एतद् द्वारा निर्देश दिया जाता है कि वे सभी स्टेशन मास्टरों, नियंत्रकों और स्टेशन स्टाफ को इस बारे में तत्काल संवेदनशील बनाएं। इन निर्देशों के किसी भी उल्लंघन के गंभीर परिणाम होंगे। समूचे रेल नेटवर्क में सैन्यकर्मियों की आवाजाही और सैन्य उपकरणों के परिवहन का संचालन मिलरेल द्वारा किया जाता है। मिलरेल यहां सेना भवन स्थित सेना मुख्यालय से संचालित होता है।

सीआरपीएफ के काफिले पर हुए हमले के बाद इस आदेश का काफी महत्व है। सीआरपीएफ ने भी अपने काफिलों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जम्मू कश्मीर में काफिला कूच के दौरान असैन्य नागरिकों की आवाजाही को प्रतिबंधित कर अपनी मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) में बदलाव किया है।

वरिष्ठ रेल अधिकारियों ने पीटीआई से कहा कि सैन्य ट्रेनों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए सावधानियां पहले से ही बरती जाती हैं। इन ट्रेनों के बारे में सूचना संबंधित रेल मंडलों को मिलरेल से कोड भाषा में पहुंचती है जिसे मंडल की सांकेतिक भाषा समझने वाली इकाई द्वारा समझा जाता है।

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