Friday, April 19, 2024
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कश्मीर में आतंक का काम तमाम: सेना ने 5 महीने में 101 आतंकियों को उतारा मौत के घाट

इस साल के पहले पांच महीने में कश्मीर में 23 विदेशी समेत 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बड़ी संख्या में आतंकवादियों की भर्ती को लेकर है।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: June 02, 2019 17:31 IST
Representational pic- India TV Hindi
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श्रीनगर: इस साल के पहले पांच महीने में कश्मीर में 23 विदेशी समेत 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए हैं, लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बड़ी संख्या में आतंकवादियों की भर्ती को लेकर है। अधिकारियों ने रविवार को कहा कि मार्च महीने से 50 युवक अनेक आतंकी संगठनों में शामिल हो चुके हैं और सुरक्षा एजेंसियों को उन तक जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति रोकने का बेहतर तरीका खोजना होगा।

अधिकारियों ने कहा कि 2019 में 31 मई तक 101 आतंकी मारे गए जिनमें 23 विदेशी और 78 स्थानीय आतंकी शामिल हैं। इनमें अल-कायदा से जुड़े समूह अंसार घजवत-उल-हिंद का प्रमुख जाकिर मूसा जैसे शीर्ष कमांडर शामिल हैं। हालांकि अधिकारियों के मुताबिक हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों के अंसार घजवत-उल-हिंद में शामिल होने के मामले बढ़ गए हैं। 23 मई को मूसा के मारे जाने के बाद खासतौर पर ये मामले देखे गए हैं।

आतंकवाद से मुकाबला करने या इसके लिए रणनीति बनाने में शामिल अधिकारियों का मानना है कि आतंकवाद निरोधक नीति पर पुनर्विचार की जरूरत है। इसके अलावा युवाओं को आतंकवाद की बुराइयां समझाने के लिए उनके तथा उनके माता-पिता के साथ बात करने की जरूरत है। मारे गए आतंकवादियों में सर्वाधिक संख्या शोपियां से है जहां 16 स्थानीय आतंकियों समेत 25 आतंकवादी मारे गए। पुलवामा में 15, अवंतीपुरा में 14 और कुलगाम में 12 आतंकी मारे गए। हालांकि दक्षिण कश्मीर के इन अति संवेदनशील क्षेत्रों से युवाओं के विभिन्न आतंकी समूहों में शामिल होने का सिलसिला भी जारी है।

अधिकारियों ने कहा कि घुसपैठ भी बढ़ रही है और कुछ आतंकी जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी जिलों तथा कश्मीर घाटी में एलओसी (नियंत्रण रेखा) से आतंकी घुसपैठ में सफल रहे। इससे सुरक्षा बलों के लिए बहुत चिंताजनक स्थिति पैदा हो गई है जो खुद को इस महीने के आखिर में शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए तैयार कर रहे हैं। घाटी में 2010-2013 की तुलना में 2014 से युवाओं के हथियार उठाने के मामले बढ़े हैं।

पुलवामा में 14 फरवरी के आतंकी हमले के बाद अधिकारियों को लगता है कि आतंकवादियों और सुरक्षा बलों के बीच मुठभेड़ के बाद इन स्थानों पर स्थानीय लोगों के प्रदर्शन तथा पथराव देखे गए। आतंकियों को सुपुर्दे खाक करते समय भी बड़ी संख्या में लोग जमा हुए। पूरे घटनाक्रम से ऐसा माहौल बन सकता है जो नए आतंकियों की भर्ती के लिए मुफीद बन जाए।

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