Friday, March 29, 2024
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2002 गुजरात दंगों और 1984 सिख विरोधी दंगों में फर्क: कन्हैया कुमार

JNU छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने विश्वविद्यालयों में हो रहे कथित हमलों की तुलना गुजरात दंगों से करते हुए आरोप लगाया कि दोनों को सरकारी मशीनरी के ‘‘समर्थन से’’ अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है।

Bhasha Bhasha
Published on: March 29, 2016 7:42 IST
kanhaiya kumar- India TV Hindi
kanhaiya kumar

नई दिल्ली: JNU छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने विश्वविद्यालयों में हो रहे कथित हमलों की तुलना गुजरात दंगों से करते हुए आरोप लगाया कि दोनों को सरकारी मशीनरी के ‘‘समर्थन से’’ अंजाम तक पहुंचाया जा रहा है। कन्हैया कुमार ने ‘‘आपातकाल’’ और ‘‘फासीवाद’’ में मूलभूत फर्क होने पर जोर देते हुए उपरोक्त बातें कहीं।

गुजरात में 2002 में हुए दंगों और 1984 के सिख विरोधी दंगों में फर्क होने पर जोर देते हुए कुमार ने आरोप लगाया कि गुजरात हिंसा सरकारी मशीनरी की मदद से की गयी जबकि दूसरा भीड़ के उन्माद में हुआ।

छात्र नेता ने कहा, ‘‘आपातकाल और फासीवाद में फर्क है। आपातकाल के दौरान सिर्फ एक पार्टी के गुंडे गुंडागर्दी में थे लेकिन इसमें (फासीवाद) पूरी सरकारी मशीनरी ही गुंडागर्दी करती है। 2002 के दंगों और 1984 के सिख विरोधी दंगों में फर्क है।’’ उसने कहा, ‘‘भीड़ द्वारा आम आदमी की हत्या किए जाने और सरकारी मशीनरी के माध्यम से नरसंहार करने में मूलभूत फर्क है। इसलिए, आज हमारे सामने साम्प्रदायिक फासीवाद का खतरा है, विश्वविद्यालयों पर हमले किए जा रहे हैं, क्योंकि हिटलर की भांति मोदी जी को भारत में बुद्धिजीवियों का समर्थन प्राप्त नहीं है। कोई बुद्धिजीवी मोदी सरकार का बचाव नहीं कर रहा।’’ वर्तमान को ‘‘इस्लामोफोबिया’’ का समय बताते हुए कन्हैया ने किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले इतिहास की समझ विकसित करने की जरूरत को रेखांकित किया।

उसने कहा, ‘‘वर्तमान में यह इस्लामोफोबिया का दौर है। आतंकवाद और आतंकवादी शब्द को तो छोड़ ही दें। जैसे ही ये शब्द आपके जेहन में आते हैं, किसी मुसलमान का चेहरा आपके दिमाग में आता है। यही इस्लामोफोबिया है।’’ दिवंगत इतिहासकार बिपिन चन्द्रा की जयंती पर ‘जश्न-ए-आजादी’ कार्यक्रम के तहत आयोजित ‘वॉइस ऑफ आजादी’ में जमा लोगों को संबोधित करते हुए कन्हैया ने यह बातें कहीं।

कन्हैया के साथ देशद्रोह के मामले में गिरफ्तार हुए उमर खालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य ने भी अपने विचार रखे।

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