Friday, April 26, 2024
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75 पर्सेंट हाजिरी अनिवार्य करने पर JNU में इसलिए मचा है बवाल!

JNU द्वारा जारी एक परिपत्र में छात्रवृत्ति, फेलोशिप और हॉस्टल समेत अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी हाजिरी को अनिवार्य बनाने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है...

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: February 17, 2018 20:39 IST
Representational Image | PTI- India TV Hindi
Representational Image | PTI

नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक परिपत्र में छात्रवृत्ति, फेलोशिप और हॉस्टल समेत अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी हाजिरी को अनिवार्य बनाने को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन और छात्रों के बीच नए सिरे से गतिरोध पैदा हो गया है। यह सब छात्रों के कक्षा का बहिष्कार करने और परिसर के भीतर विश्वविद्यालय के एक निर्देश के खिलाफ जुलूस निकालने से शुरू हुआ। विश्वविद्यालय ने पार्ट टाइम समेत सभी पाठ्यक्रमों के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। प्रदर्शन के बीच 3 फरवरी को एक अन्य परिपत्र जारी किया गया। इसमें कहा गया कि छात्रवृत्ति, फेलोशिप और अन्य सुविधाएं हासिल करने के लिए 75 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है।

अनिवार्य उपस्थिति के आदेश से संबंधित मुद्दे पर चर्चा के लिए कुलपति से नहीं मिल पाने से नाराज कुछ छात्रों ने JNU के प्रशासनिक ब्लॉक का घेराव किया था। दिल्ली पुलिस ने विश्वविद्यालय के दो वरिष्ठ अधिकारियों को घंटों भवन से नहीं निकलने देने को लेकर छात्रों के खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थी। यद्यपि दिल्ली में अन्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों में भी स्नातकोत्तर स्तर तक अनिवार्य उपस्थिति की व्यवस्था है, लेकिन एमफिल और पीएचडी छात्रों के लिये इस नियम में ढील है। दिल्ली विश्वविद्यालय या इससे संबंद्ध कॉलजों में स्नातक स्तर तक छात्रों के लिए सेमेस्टर परीक्षा में बैठने के लिए न्यूनतम 66 फीसदी उपस्थिति अनिवार्य है। हालांकि, यह नियम सिर्फ स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों पर लागू होता है और शोधार्थियों पर यह नहीं लागू होता है।

जब से छात्रों की हड़ताल शुरू हुई है और गुरुवार को ‘घेराव’ किया गया जेएनयू छात्र परिसर में लॉन और अन्य स्थानों पर कक्षा के लिये बैठ रहे हैं। जेएनयूएसयू अध्यक्ष गीता कुमारी ने कहा, ‘छात्र कक्षा में नहीं आने के अधिकार के लिए नहीं लड़ रहे हैं। हम निरर्थक और मनमाने अनुशासन के बिना जेएनयू की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं के अनुरूप सीखने के अधिकार के लिये लड़ रहे हैं। यहां तक कि शिक्षक भी खुले में कक्षा और परीक्षा आयोजित कर हड़ताल में छात्रों का समर्थन कर रहे हैं।’ छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय में मौजूदा तरीके पहले ही छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित करते हैं।

कुमारी ने कहा, ‘सतत मूल्यांकन, नियमित परीक्षा, प्रजेंटेशन, कक्षा में भागीदारी, एसाइनमेंट, ट्यूटोरियल, टर्म पेपर आदि की व्यवस्था पहले से है। इस फैसले का क्या उद्देश्य है जबकि इसे शैक्षणिक परिषद में भी पारित नहीं किया गया है।’ विश्वविद्यालय के चीफ प्रॉक्टर कौशल कुमार ने कहा कि जेएनयू नियम और नियमनों का पालन करता है और अनिवार्य उपस्थिति का निर्देश शैक्षणिक परिषद की मंजूरी मिलने के बाद ही जारी किया गया। हालांकि, जेएनयू छात्रसंघ और शिक्षक संघ का कहना है कि इसे शैक्षणिक परिषद में पारित नहीं किया गया है।

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