Thursday, April 25, 2024
Advertisement

बंटवारे के समय बिछड़ी सहेलियों को मिलवा पाएगा यह झुमका? पढ़ें, दोस्ती की दिलचस्प कहानी

2 सहेलियां जो भारत विभाजन के समय एक-दूसरे से बिछड़ गईं और जिनके पास झुमके के एक जोड़े के एक-एक झुमके थे।

IANS Reported by: IANS
Published on: September 14, 2019 8:43 IST
'Jhumka' may reunite 2 friends who separated during partition- India TV Hindi
'Jhumka' may reunite 2 friends who separated during partition | Twitter

इस्लामाबाद: 2 सहेलियां जो भारत विभाजन के समय एक-दूसरे से बिछड़ गईं और जिनके पास झुमके के एक जोड़े के एक-एक झुमके थे। क्या यह झुमका उन दोनों को एक बार फिर से मिला सकेगा। विभाजन की त्रासदी के बीच मानवीय रिश्तों की यह कहानी इस वक्त ट्विटर पर आई हुई है और ट्विटर यूजर से इसमें अपील की गई है कि दोनों सहेलियों को फिर से मिलाने में वे मदद करें। पाकिस्तानी मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस कहानी को ट्विटर पर भारतीय इतिहासकार व लेखिका आंचल मल्होत्रा ने साझा किया है। 

जम्मू-कश्मीर के पुंछ से थीं किरन और नूरी

यह कहानी आंचल की एक छात्रा नूपुर मारवाह और उसकी दादी तथा दादी की बिछड़ जाने वाली एक सहेली की है। नूपुर की दादी अपनी सहेली से भारत विभाजन के समय बिछड़ गई थीं। बिछड़ते वक्त दोनों सहेलियों ने सोने के झुमके के एक जोड़े के एक-एक झुमके को 'अपनी दोस्ती की कभी न मिटने वाली यादगार' के तौर पर अपने पास रख लिया था। आंचल ने लिखा है कि नूपुर की दादी किरन बाला मारवाह 1947 में 5 साल की थी और उनकी सहेली नूरी रहमान 6 साल की। दोनों का संबंध जम्मू-कश्मीर के पुंछ से था। 


1947 में दोस्त चली गई, दोस्ती रह गई
पाकिस्तान बनने के बाद नूरी व उनका परिवार पाकिस्तान चला गया। दोनों सहेलियों के बिछड़ने का वक्त आया तब दोनों बच्चियों ने अपनी दोस्ती की याद में झुमके के एक जोड़े के एक-एक झुमके को अपने पास रख लिया। दोस्त चली गई, दोस्ती पास रह गई। वक्त गुजरता गया। सत्तर साल गुजर गए। एक दिन नूपुर ने अपनी दादी से स्कूल के प्रोजेक्ट के सिलसिले में देश विभाजन के बारे में पूछा। किरन बाला मारवाह ने अपनी अलमारी को खोला और एक कान का झुमका अपनी पोती के हाथ पर बतौर विरासत रख दिया। 

70 साल से संभालकर रखा है झुमका
किरन बाला ने लगभग 70 साल से इस उम्मीद पर इस झुमके को अपने पास रखा कि कभी तो उनकी सहेली उनसे मिलेगी। आंचल ने कई ट्वीट में यह कहानी शेयर की। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘आंसुओं से भरी आंखों के साथ किरन ने कहा कि दशकों पहले बिछड़ जाने वाली सहेली की याद में ही उन्होंने पोती का नाम नूपुर रखा। नूपुर ने कहा कि इसके बाद मुझे इस बात का अहसास हुआ कि दादी क्यों उसे कई बार नूरी कहकर बुलाती हैं।’

क्या फिर से मिलेंगी किरन और नूरी?
आंचल ने ट्वीट में पाकिस्तान के ट्विटर यूजर से अपील की है कि वे झुमकों की इस जोड़ी को और सहेलियों को एक-दूसरे से मिलाने के लिए कोशिश करें। उन्होंने लिखा, ‘सरहद के उस पार जो लोग इन संदेशों को पढ़ें, अगर उन्होंने अपने परिवार या नूरी दादी या नूरी नानी से यह कहानी सुन रखी हो, जिनके पास एक झुमका मौजूद है, तो वे कृपया संपर्क करें। किरन और नूरी को एक बार फिर मिलना चाहिए।’

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement