चेन्नई: तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने श्रीलंका नौसेना द्वारा बीच समुद्र में तमिलनाडु के पांच मछुआरों को हाल में गिरफ्तार किए जाने को अमानवीय कृत्य बताते हुए केंद्र से अपील की कि वह इस मामले को द्वीप राष्ट्र के उच्चतम अधिकारियों के समक्ष उठाए। जयललिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि पांच मछुआरों को पिछले सप्ताह तमिलनाडु से लेकर जा रही एक नौका इंजन में गड़बड़ी के कारण बह कर तट पर चली गई जिसके बाद श्रीलंकाई सरकार ने मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने एक पत्र में कहा, यह समुद्र में संकट में घिरे मछुआरों को गिरफ्तार करने का अमानवीय कृत्य प्रतीत होता है।
जयललिता ने कहा कि 24 मछुआरे और मछली पकड़ने की 93 नौकाएं पहले की श्रीलंका की हिरासत में हैं। उन्होंने कहा कि नौकाओं को नहीं छोड़ने की रणनीति से तमिलनाडु के मछुआरों के बीच काफी हताशा है। जयललिता ने कहा, मैं चाहती हूं कि आप श्रीलंकाई सरकार के उच्चतम प्राधिकारियों के समक्ष इस मामले को उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि नौकाओं एवं मछुआरों को छोड़ा जाए। उन्होंने कहा कि पाक जलडमरूमध्य, जिस पर मछुआरों का ऐतिहासिक दावा है, वहां उन्हें परंपरागत जल में शांतिपूर्वक मछलियां पकड़ने का अधिकार नहीं दिए जाने से तमिलनाडु के मछुआरों में काफी आक्रोश है।
जयललिता ने कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वीप राष्ट्र को कच्चातिवु सौंपने के लिए भारत और श्रीलंका के बीच 1974 एवं 1976 में हुए समझौतों को रद्द करके पाक जलडमरूमध्य में हमारे मछुआरों के मछलियां पकड़ने के परंपरागत अधिकारों की बहाली की आवश्यकता को मजबूती से दोहराती है। उन्होंने कहा, मैंने इन समझौतों की संवैधानिक वैधता को उच्चतम न्यायालय में अत्यंत वैध कानूनी आधारों पर चुनौती दी है और तमिलनाडु सरकार ने भी बाद में स्वयं को एक पक्ष बनाए जाने का अनुरोध किया।
उन्होंने मछलियां पकड़ने की 94 नौकाओं और 29 मछुआरों की जल्द से जल्द रिहाई सुनिश्चित करने के लिए मोदी के निजी हस्तक्षेप की मांग की और उनसे इस मामले में तत्काल कदम उठाने के लिए विदेश मंत्रालय को निर्देश देने का अनुरोध किया।