Thursday, March 28, 2024
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जम्‍मू कश्‍मीर: पुलवामा मुठभेड़ में 3 आतंकी ढेर एक जवान शहीद, एन्‍काउंटर के बाद पथराव में 7 की मौत

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को एक मुठभेड़ स्थल के समीप एकत्रित हुई उग्र भीड़ को तितर बितर करने के लिए सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में सात नागरिक मारे गए।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: December 15, 2018 23:47 IST
Jammu and Kashmir encounter- India TV Hindi
Jammu and Kashmir encounter

दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में शनिवार को एक मुठभेड़ स्थल पर घुसने का प्रयास करने वाली उग्र भीड़ पर सुरक्षाबलों ने कथित रूप से गोलियां चला दीं जिसमें सात आम नागरिकों की मौत हो गई। इस मुठभेड़ में तीन आतंकवादी मारे गए और सेना का एक जवान शहीद हो गया। मारे गये आतंकवादियों में सेना से भागा हुआ जहूर अहमद ठोकर भी शामिल है जो सिमू गांव का रहने वाला है। इसी गांव में मुठभेड़ हुई थी। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया खबरों के आधार पर सेना ने इलाके के एक बाग के बीच में स्थित घर की घेराबंदी की। सुरक्षाबलों ने 90 मिनट में अभियान खत्म करते हुए तीनों आतंकवादियों को मार गिराया।

पुलिस ने कहा कि सैनिक उस समय आश्चर्यचकित रह गये जब लोगों ने सभी दिशाओं से मुठभेड़ स्थल की तरफ बढना शुरू कर दिया। इनमें से कुछ ने उनके हथियार छीनने का प्रयास किया। एक पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि जब अभियान चल रहा था, सुरक्षाबलों को भीड़ पर गोलियां चलानी पड़ी क्योंकि लोग ‘‘मुठभेड़ स्थल के अन्य भागों से खतरनाक रूप से उनके बहुत करीब’’ आ गये। प्रवक्ता ने कहा कि घायलों को अस्पताल ले जाया गया जहां सात आम लोगों की ‘‘दुर्भाग्यवश’’ मौत हो गई। अपुष्ट खबरों में मरने वाले आम लोगों की संख्या आठ बताई गई है। पुलिस ने कहा कि मरने वालों में एक कश्मीरी युवक भी शामिल है जो हाल में अपनी इंडोनेशियाई पत्नी और तीन महीने के बच्चे के साथ वापस अपने गृह नगर आया था। युवक पत्थर फेंकने वाली भीड़ में भी शामिल था।

प्रवक्ता ने कहा कि करीब पांच अन्य लोगों को भी छर्रे लगे हैं। अन्य को भर्ती कराया गया है और उनकी हालत स्थिर बताई जा रही है। पुलिस ने फिर से आम परामर्श जारी करके लोगों से मुठभेड़ स्थलों से दूर रहने को कहा है। कश्मीर में राजनीतिक दलों ने इस घटना की निंदा की है और कहा है कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक के नेतृत्व वाला प्रशासन आम लोगों की सुरक्षा में ‘‘नाकाम’’ है। घटना के बाद बढ़ते तनाव को देखते हुए अधिकारियों ने श्रीनगर सहित कश्मीर के अधिकतर इलाकों में इंटरनेट सेवा बंद कर दिया। ठोकर पिछले साल जुलाई में उत्तर कश्मीर के बारामुला जिले में सेना की इकाई से लापता हो गया था। वह अपनी सरकारी राइफल और तीन मैगजीन के साथ फरार हो गया था तथा आतंकवादी संगठन में शामिल हो गया था।

सुरक्षाबलों ने कहा कि ठोकर पुलवामा जिले में कई हत्याओं में शामिल रहा है जिसमें 44 राष्ट्रीय राइफल्स के राइफलमैन औरंगजेब के अपहरण और हत्या का मामला शामिल है। दो अन्य आतंकवादियों की पहचान की जा रही है। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, ‘‘किसी भी जांच से उन बेकसूर लोगों की जान वापस आयेगी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दक्षिण कश्मीर पिछले छह महीने से खौफ के साये में जी रहा है। क्या राज्यपाल शासन से यही उम्मीद थी?’’ उन्होंने अन्य ट्वीट किया, ‘‘कोई भी मुल्क अपने ही लोगों के कत्ल से जंग नहीं जीत सकता।’’ नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने अभियान के तरीकों पर सवाल उठाया।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आप चाहे जैसे भी देखें यह बेहद खराब तरीके से किया गया अभियान है। मुठभेड़ स्थलों के आस पास प्रदर्शन अपवाद नहीं बल्कि सामान्य बात हो गयी है। आखिर हम इनसे बेहतर तरीके से निपटना कब सीखेंगे?’’ उन्होंने कहा, ‘‘कश्मीर में खून से सना एक और हफ्ता।’’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘राज्यपाल मलिक का प्रशासन का सिर्फ एक ही काम है। वह है सिर्फ और सिर्फ जम्मू कश्मीर के लोगों की सुरक्षा पर ध्यान देना और संकटग्रस्त घाटी में शांति बहाल करना। लेकिन बड़े दुख की बात है कि प्रशासन यह एक काम भी नहीं कर पा रहा है।’’ पूर्व अलगाववादी और पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने कहा कि प्रशासन को इस तरह के आतंकवाद विरोधी अभियानों की कीमत को ‘‘गंभीरता से आंकने’’ की जरूरत है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि अगर आप तीन आतंकवादियों को मारने के लिये सात आम नागरिकों की जान लेते हैं तो यह नहीं चलने वाला।

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