Friday, March 29, 2024
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जामिया की हिंसा में छात्र नहीं थे शामिल, पुलिस बिना इजाजत युनिवर्सिटी में घुसी: वीसी नजमा अख्तर

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पुलिस के कैंपस में घुसने के मामले को लेकर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की।

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 16, 2019 15:23 IST
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Deeply hurt by how my students were treated, says Jamia VC Najma Akhtar | Twitter

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया मिलिया इस्लामिया में रविवार को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा और पुलिस के कैंपस में घुसने के मामले को लेकर यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वीसी नजमा अख्तर ने कहा कि पुलिस इजाजत के बगैर यूनिवर्सिटी कैंपस में दाखिल हुई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि बच्चों को बर्बरता के साथ डराया गया, जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। वीसी ने कहा कि एक अफवाह चल रही है कि जामिया के 2 स्टूडेंट की मौत हुई है, हम इसका खंडन करते हैं। 

नजमा अख्तर ने कहा कि जामिया के किसी स्टूडेंट की मौत नहीं हुई है, लेकिन प्रदर्शन में करीब 200 स्टूडेंट्स घायल हुए हैं। उन्होंने ने कहा, 'हमारी यूनिवर्सिटी का बहुत नुकसान हुआ है। बच्चों को डराने के लिए मारपीट की गई। जामिया में हिंसा की भरपाई कैसे होगी। यूनिवर्सिटी में जो बाहरियों की एंट्री हुई है, उसकी एफआईआर दर्ज कराएंगे। हम अपने यूनिवर्सिटी कैंपस में पुलिस के प्रवेश के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करेंगे। आप संपत्ति का पुनर्निर्माण कर सकते हैं, लेकिन आप उन चीजों के लिए क्षतिपूर्ति नहीं कर सकते हैं जिस स्थिति से हमारे स्टूडेंट्स गुजरे हैं। हम उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं।'

आपको बता दें कि इससे पहले पुलिस ने उपद्रव करने के आरोप में कुछ छात्रों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए कम से कम 50 छात्रों को सोमवार तड़के रिहा कर दिया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 50 छात्रों में से 35 छात्रों को कालकाजी पुलिस थाने से और 15 छात्रों को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी पुलिस थाने से रिहा किया गया। विश्वविद्यालय में रविवार को हुई हिंसा के बाद स्थिति सोमवार को भी तनावपूर्ण बनी हुई है और छुट्टी होने के बाद अब कई छात्र-छात्राएं अपने घरों के लिए रवाना हो रहे हैं। 

वहीं, दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर मंगलवार को सुनवाई करने पर सहमत हो गया है जिनमें नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन कर रहे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और यहां के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर पुलिस की बर्बर कार्रवाई के आरोप लगाए गए हैं। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली एक पीठ ने कानून के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और उपद्रव पर भी सोमवार को सख्त रूप अपनाया और कहा कि यह सब फौरन बंद होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक हिंसा बंद नहीं होगी, तब तक मामले पर सुनवाई नहीं की जाएगी।

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