चेन्नई: भारत के दूरस्थ संवेदी या पृथ्वी निगरानी उपग्रहों ने सशस्त्र बलों को सर्जिकल स्ट्राइक के लिए जरूरी चित्र के लिए दिए थे। इसी के जरिए नियंत्रण रेखा (LOC) के पार आतंकी शिविरों पर सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। अधिकारियों ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने कहा कि उपग्रहों के कार्टोसैट सीरीज (कार्टोसैट-2, 2ए, 2बी और 2 सी) का इस्तेमाल रणनीतिक और कई दूसरे उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। इसलिए कार्टोसैट 2सी के बेहतर छवि का इस्तेमाल किया गया। कार्टोसैट 2सी को जून 2016 में प्रक्षेपित किया गया।
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सूत्रों के मुताबिक कार्टोसैट 2डी और 3 का इस्तेमाल भी सशस्त्र बलों द्वारा किया जाएगा। हालांकि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अधिकारी उपग्रहों के रणनीतिक उदेश्यों के इस्तेमाल पर चुप रहे, लेकिन उन्होंने सहमति जताई कि उपग्रह चित्र रक्षा बलों सहित कई एजेंसियों द्वारा लिए गए थे। सूत्रों ने बताया कि पृथ्वी निगरानी उपग्रहों का प्रबंधन ISRO द्वारा किया जाता है, पर उपग्रहों के पेलोड/उपकरण के रणनीतिक इस्तेमाल का फैसला रक्षा बलों के द्वारा किया जाता है। भारत के पास रिसैट सीरीज के रडार इमेजिंग टोही उपग्रह हैं, जो सभी मौसम संबंधी चित्रों सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) का इस्तेमाल कर देते हैं।
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रक्षा बलों को सुनने की शक्ति संचार उपग्रहों के जरिए दी गई। भारतीय सशस्त्र बलों और खासकर नौसेना की अपनी उपग्रह शक्ति जीसैट-7 रुक्मिणी है। यह एक संचार उपग्रह जिसका इस्तेमाल समुद्री संचार उद्देश्यों के लिए होता है। भारत का दूसरा सैन्य संचार उपग्रह जीसैट-6 है। जबकि भविष्य में वायु सेना को भी एक उपग्रह इस्तेमाल के लिए मिलने वाला है। ऐसे में भारतीय रक्षा बलों के पास करीब छह उपग्रह किसी भी जगह पर इस्तेमाल करने के लिए भविष्य में मौजूद होंगे।