Friday, March 29, 2024
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#IndiaTVSamvaad: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टीवी कॉन्क्लेव में कहा, 'जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत'

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज जोर देकर कहा कि जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत है। हालांकि उन्होंने यह जोड़ा कि 'न्यापालिका की स्वायत्ता का सम्मान होना चाहिए'

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: May 19, 2018 21:35 IST
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Image Source : INDIA TV IndiaTVSamvaad Ravishankar Prasad

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज जोर देकर कहा कि जजों की नियुक्ति में पारदर्शिता की जरूरत है। हालांकि उन्होंने यह जोड़ा कि 'न्यापालिका की स्वायत्ता का सम्मान होना चाहिए' दिनभर चले इंडिया टीवी कॉन्क्लेव 'मोदी सरकार के 4 साल' में यहां एक सवाल का जवाब देते हुए कानून मंत्री ने कहा कि नेशनल ज्यूडीशियल अकाउंटिबिलिटी कमिशन बिल को लेकर राजनीति दलों में सहमति है लेकिन इसे सुप्रीम कोर्ट ने इस स्वीकार नहीं किया है। 'सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने अपने  1993, 1998 और 2015 के आदेश में यह माना है कि केंद्र सरकार को यह पूरा अधिकार है कि वह कॉलेजियम के फैसले की समीक्षा करे और मौजूद सरकार अपने इसी अधिकार का पालन कर रही है।'

 
कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस कर्णन जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना के मामले में 6 महीने जेल की सजा सुनाई थी, का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा; 'जब हमने उस जज की फाइल को देखा तो उसमें लिखा था कि कॉलेजियम के द्वारा नियुक्त किए गए थे। उनकी फाइल में यह लिखा था कि उन्हें कई कानूनों का अच्छा ज्ञान है। स्वाभाविक है कि उस जज को अवमानना का कोई ज्ञान नहीं था। इसलिए कहीं न कहीं न्यायपालिका में सुधार की जरूरत है।'
 
कानून मंत्री ने यह बताया कि 2014 और 2015 में एनजेएसी के मुद्दे की वजह से जजों की नियुक्ति रुकी लेकिन 2016 में केंद्र ने 126 जजों की नियुक्ति की जबकि 2017 में 117 जजों की नियुक्ति हुई और जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा, 'न्यायपालिका में पारदर्शिता हमारी प्रतिबद्धता है'। यह पूछे जाने पर कि न्यायपालिका में पारदर्शिता की जरूरत है क्या यह उनका मत है, प्रसाद ने कहा: 'मैंने ऐसा नहीं कहा। सुधार की जरूरत है और यह खुद न्यापालिका की तरफ से निर्देश है।'
 
उत्तराखंड के चीफ जस्टिस केएस जोसेफ की नियुक्ति से जुड़ी फाइल को केंद्र द्वारा वापस भेजने के सवाल पर कानून मंत्री ने कहा, मैं एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि इस फैसले का जस्टिस जोसेफ के उस आदेश से कोई लेना-देना नहीं है। इसके पीछे दो वजह है। पहला-हमारी पार्टी पहले से ही तीन चौथाई बहुमत हासिल कर उत्तराखंड में सरकार में थी। और दूसरा सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही फैसले की पुष्टि की है। जिस जज ने इस फैसले की पुष्टि की है वह जस्टिस खेखर थे जिनकी बेंच ने एनजेएसी बिल को रद्द कर दिया था। 

सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा ऐतिहासिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के सवाल पर कानून मंत्री ने कहा, मैं इसपर कुछ नहीं कहूंगा। सुप्रीम कोर्ट के जजों की दूरदर्शिता में उनके मतभेदों को दूर करने में मुझे पूरा विश्वास है। 

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