नयी दिल्ली: भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान को देय सर्वाधिक तरजीही देश (एमएफएन) के दर्जे पर आज पुनर्विचार करेगा। उरी हमलों के मद्देनजर भारत इस दर्जे को वापस लेने या इस मुद्दे पर उसे विश्व व्यापार संगठन में घसीटने के विकल्प पर भी विचार कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस मामले पर पुनर्विचार का फैसला उरी हमले के मद्देनजर किया गया है।
सूत्रों ने बताया कि आज होने वाली बैठक में इस मुद्दे पर पाकिस्तान को विश्व व्यापार संगठन :डब्ल्यूटीओ: में घसीटने पर विचार कर सकता है क्योंकि उसने भारत को यह दर्जा नहीं दिया है। उल्लेखनीय है कि भारत ने 1996 में पाकिस्तान को एमएफएन का दर्जा दिया था लेकिन पाकिस्तान ने भारत को यह दर्जा अभी तक नहीं दिया है। पाकिस्तान ने इसके लिए दिसंबर 2012 की समयसीमा रखी थी जिसमें वह चूक गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का एमएफएन दर्जा वापस होने से पाकिस्तानी उद्योगों को धक्का लगेगा। इससे पाकिस्तानी उद्योगों को कम कीमत पर कच्चा माल जुटाना मुश्किल हो जाएगा। वर्ष 2015-16 में भारत ने पाकिस्तान के साथ 2.17 अरब डॉलर का निर्यात और 4.41 डॉलर का आयात किया है।
पाक को एमएफएन का दर्जा समाप्त करने का असर भारत के व्यापार पर नहीं
वहीं भारतीय उद्योग का कहना है कि अगर पाकिस्तान को दिए तरजीही देश :एमएफएन: का दर्जा वापस ले लेता है तो उसका भारत के व्यापार पर कोई असर नहीं होगा क्योंकि दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग नगण्य है। उद्योग मंडल एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, भारत व पाकिस्तान के बीच व्यापार लगभग नगण्य है। जहां तक व्यापार का सवाल है तो बदलाव से कोई असर नहीं होगा लेकिन दोनों देशों के बीच भविष्य में व्यापार सामान्य बनाने के लिहाज से बड़ा झटका होगा।
फिक्की के महासचिव ए दीदार सिंह ने कहा, फैसला सरकार को करना है। हम सरकार के फैसले का समर्थन करेंगे। दोनों देशों के बीच व्यापार काफी कम है, फिर पाकिस्तान ने भी तो हमें यह दर्जा नहीं दिया है। भारतीय विदेश व्यापार संस्थान :आईआईटीएफ: में अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ राकेश मोहन जोशी ने कहा, अगर भारत यह दर्जा वापस लेता है तो पाकिस्तान पर असर होगा। पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिहाज से यह अच्छा राजनयिक कदम होगा।