Friday, March 29, 2024
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इस ब्लड ग्रुप के लोग हैं एलियंस, कहीं आप भी तो उनमें से एक नहीं.....

वैज्ञानिक इस बारे में कहते हैं कि वर्तमान में 84 से 85 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव है, ये ही लोग पृथ्वी के मूल निवासी हैं तथा ये लोग ही क्रम विकास के सिद्धांत के अनुसार वानर की नस्ल का विकसित रूप हैं, पर 15 से 16 प्रतिशत ऐसे लोग भी हैं जिनका

India TV News Desk India TV News Desk
Published on: May 26, 2017 13:48 IST

Alien

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वैज्ञानिकों ने अपने शोध में कई ऐसे सवालों का सामना किया जिनके जवाब आज तक ढूंढे नहीं जा सकें हैं, पर उनमें एक सबसे बड़ा सवाल यह था जो अब हम आपको बता रहें हैं। मानव शरीर विषाणुओं से अपनी रक्षा के लिए एंटीजंस पैदा करता है पर यदि किसी का शरीर एंटीजंस को पैदा नहीं कर पाता है और उसके शरीर में एंटीजंस को बाहर से डाला जाता है तो मानव शरीर एंटीजंस के साथ में शत्रुवत व्यवहार करता है। अब सवाल यह है कि आखिर क्यों एक आरएच पॉजीटिव मां का शरीर एक आरएच नेगेटिव बच्चे को अस्वीकार कर देता है। यह असल सवाल जिसका जवाब अलौकिक वंश के आरएच निगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोग ही हो सकते हैं, जैसा की पहले दी हुई अवधारणा में बताया गया है।

नई वैज्ञानिक अवधारणा

ब्लड ग्रुप के इस खुलासे के बाद एक नई वैज्ञानिक अवधारणा का जन्म हुआ है जिसके अनुसार वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राचीन काल में हमारी धरती पर अंतरिक्ष के अन्य ग्रह से कुछ प्राणी आए होंगे और उन्होंने यहां के मानव समाज को अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से यहां की स्त्रियों से बच्चे पैदा कर अपने नेगेटिव ब्लड ग्रुप के वंश की स्थापना कर धरती पर आनुवांशिक हेरफेर की होगी।

देखा जाए तो प्राचीन समय की सुमेरियन थ्योरी भी ऐसा ही कहती है। इसके अनुसार अति प्राचीन समय में धरती पर अन्य ग्रह से एक अति उन्नत एलियन आया था। जिसको “अनुनाकी” कहा जाता है और इसने धरती पर सबसे पहले अनुनाकी मानव को जन्म दिया तथा “सुमेर सभ्यता” की नींव रखी, आपको हम यह भी बता दें कि अनुनाकी एक सुमेरियन शब्द है जिसका अर्थ “स्वर्ग से निकाले गए देवता” से किया जाता है।

इसके अलावा लगभग हर धर्म में आकाश के देवताओं और उनके धरती पर आने की पौराणिक कहानियां मौजूद हैं, जिनमें से कुछ आप भी जानते ही होंगे, पर सवाल यह है कि आखिर किस प्रकार से उस आदि समय में आकर अन्य ग्रह के उन्नत प्राणियों ने पृथ्वी के मानव सभ्यता के अनुवांशिक कोड को बदल दिया था और यदि ऐसा हुआ था तो आखिर ऐसा क्यों किया गया था।

फिलहाल तो वर्तमान में वैज्ञानिकों को ब्लड ग्रुप से संबंधित बातों के आधार पर लौकिक तथा अलौकिक वंश के लोगों के वर्गीकरण का ही पता लग पाया है, लेकिन वह जानकारी भी अधूरी ही है। खैर, हम आशा करते हैं की विकसित होते विज्ञान के साथ जल्द ही मानव अपने असल पूर्वज के बारे में जान जाएगा।

अगले स्लाइड में देखें वीडियो......

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