नई दिल्ली: भारत-पाकिस्तान के बीच एक लड़ाई पिछले 68 साल से लड़ी जा रही है। इस लड़ाई में कभी भारत का पलड़ा भारी हुआ तो कभी पाकिस्तान को जीत मिलती दिखी, लेकिन आज तक ये मामला अंजाम तक नहीं पहुंच पाया है। दरअसल ये पूरा झगड़ा हैदराबाद के निजाम के 350 करोड़ रुपए को लेकर है। ये रकम ब्रिटेन के नेटवेस्ट बैंक के एक बैंक खाते में जमा है।
मंगलवार को ब्रिटिश हाई कोर्ट ने भारत को झटका दिया। इस केस में भारत की तरफ से याचिका डाली गई थी कि कोर्ट इस पैसे पर पाकिस्तान का हक जमाने की बात को निरस्त कर दे। वहीं, कोर्ट अपने फैसले में कहा है कि इस पैसे में पाकिस्तान का भी हक हो सकता है। कोर्ट ने फिलहाल यह तय नहीं किया है कि यह पैसा किसको मिलेगा। इसके लिए ट्रायल चलेगा और उसके बाद फैसला होगा।
क्या है हैदराबाद फंड केस?
यह विवाद और रकम हैदराबाद रियासत से जुड़ी है। आजादी के बाद हैदराबाद के निजाम मीर उस्मान अली भारत का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। आजादी के करीब साल भर बाद तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने हैदराबाद रियासत पर कब्जा करने के लिए भारतीय फौज भेज दी। हैदराबाद पर भारतीय फौज ने 18 सितंबर 1948 को कब्जा कर लिया। इसके बाद निजाम भारत में विलय को राजी हो गए थे।
इसकी खबर जैसे ही उस वक्त लंदन में मौजूद उनके फाइनेंस मिनिस्टर मोइन नवाज जंग को लगी उन्होंने तुरंत पाकिस्तानी हाई कमिश्नर हबीब इब्राहिम रहमतउल्लाह के खाते में 1,007,940 पौंड और 9 शिलिंग जमा करा दिए। उस वक्त नेशनल वेस्टमिंस्टर बैंक में हैदराबाद के निजाम का अकाउंट था। जब इसकी खबर निजाम को लगी तो उन्होंने पैसे वापस मांगे लेकिन पाकिस्तान ने देने से इनकार कर दिया। पाकिस्तान इस पर अपना हक जताने लगा। फिलहाल ये खाता फ्रीज है।