Tuesday, April 23, 2024
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मुख्य सचिव के साथ मारपीट मामले में AAP विधायक प्रकाश जारवाल को हाईकोर्ट से मिली जमानत

दिल्ली हाईकोर्ट ने आज आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक प्रकाश जारवाल को इस चेतावनी के साथ जमानत दे दी कि भविष्य में ऐसी किसी भी गैर कानूनी गतिविधि हुई तो उनकी जमानत रद्द हो जाएगी।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: March 09, 2018 18:29 IST
Prakash Jarwal- India TV Hindi
Prakash Jarwal

नयी दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आज आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक प्रकाश जारवाल को इस चेतावनी के साथ जमानत दे दी कि भविष्य में ऐसी किसी भी गैर कानूनी गतिविधि हुई तो उनकी जमानत रद्द हो जाएगी। जारवाल को दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ कथित तौर पर मारपीट करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इससे पूर्व जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने जारवाल की जमानत याचिका आज मंजूर कर ली। 

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर एक बैठक के दौरान मुख्य सचिव के साथ कथित तौर पर मारपीट का मामला सामने आने के एक दिन बाद 20 फरवरी को जारवाल को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने इससे पहले देवली से विधायक जारवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है जहां राज्य और अधिकारी असुरक्षित महसूस करते हैं और एक-दूसरे द्वारा डराए-धमकाए जाते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि यह दोनों पक्षों के बीच ‘‘भरोसे की कमी’’ का परिचायक है। 

अदालत ने सुझाव दिया कि दिल्ली सरकार को विधायकों और नौकरशाहों के बीच बैठकों की वीडियोग्राफी करवानी चाहिए ताकि यह तय हो सके कि भविष्य में कोई अप्रिय घटना नहीं हो और पादर्शिता बनाए रखी जा सके। जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि यदि जारवाल स्वयं या किसी के जरिए किसी प्रकार की धमकी देते हैं , डराते हैं, या अंशु प्रकाश की विधिसम्मत गतिविधियों में बाधा उत्पन्न करते हैं तो दिल्ली पुलिस और मुख्य सचिव उनकी जमानत को रद्द किए जाने की मांग करने के अधिकारी होंगे। 

हाईकोर्ट ने कुछ और शर्ते भी लगाई जैसे जारवाल अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाएंगे और यदि उनके रिहायशी पते में कोई बदलाव होता है तो हलफनामे के जरिए संबंधित अदालत को इसकी सूचना देनी होगी। इसी मामले में गिरफ्तार ओखला से विधायक अमानतुल्ला खान की जमानत याचिका भी अदालत के समक्ष लंबित है। 

इससे पहले एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने दोनों की जमानत नामंजूर कर दी थी और कहा था कि मामले को “लापरवाह और सामान्य तरीके” से नहीं लिया जा सकता। साथ ही अदालत ने दोनों को “हिस्ट्री-शीटर” बताया था। जारवाल ने इसके बाद एक सत्र अदालत का रुख किया जहां फिर उन्हें राहत नहीं मिली। अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि इससे ज्यादा चिंताजनक स्थिति नहीं हो सकती कि कानून बनाने वाले ही विधि के शासन का सम्मान नहीं कर रहे। 

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