Tuesday, April 23, 2024
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भारत-म्यांमार सीमा पर तस्करी रोकने के लिए ‘नया ऑपरेटिंग बेस’ स्थापित करेगी सरकार!

भारत-म्यांमार सीमा के आर-पार विद्रोही गतिविधियों, गोला बारूद एवं अवैध मालों की तस्करी की चुनौती से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने सीमा के पास एक ‘नया ऑपरेटिंग बेस’ स्थापित करने की योजना बनाई है...

Bhasha Reported by: Bhasha
Updated on: March 25, 2018 14:58 IST
Representational Image | PTI Photo- India TV Hindi
Representational Image | PTI Photo

नई दिल्ली: भारत-म्यांमार सीमा के आर-पार विद्रोही गतिविधियों, गोला बारूद एवं अवैध मालों की तस्करी की चुनौती से निपटने के लिए गृह मंत्रालय ने सीमा के पास एक ‘नया ऑपरेटिंग बेस’ स्थापित करने की योजना बनाई है। ‘केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल तथा आंतरिक सुरक्षा संबंधी चुनौतियां, मूल्यांकन एवं प्रतिक्रिया तंत्र’ विषय पर गृह मंत्रालय से जुड़ी प्राक्कलन समिति के समक्ष गृह मंत्रालय ने बताया कि सीमा की निगरानी करने वाले बल की प्रचालन क्षमता बढ़ाने के लिए और सम्पर्कता के मुद्दे के समाधान के लिए गृह मंत्रालय में भारत-म्यांमार सीमा पर सड़कों, हेलीपैड के निर्माण सहित आधारभूत संरचना के विकास की परियोजना तैयार की जा रही है।’

मंत्रालय ने बताया, ‘भारत-म्यांमार सीमा के पास एक ‘नया ऑपरेटिंग बेस’ स्थापित करने की योजना बनाई है।’ समिति ने कहा कहा कि वह चाहती है कि इस संबंध में जल्द निर्णय लिया जाए ताकि आवश्यक आधारभूत संरचना का शीघ्र निर्माण किया जा सके जिससे भारत-म्यांमार सीमा पर हो रही अवैध गतिविधियों की रोकथाम की जा सके और उसे समाप्त किया जा सके। समिति नोट करती है कि मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम तथा अरूणाचल प्रदेश तक फैली भारत-म्यांमार सीमा की विशेषता वहां का पहाड़ी क्षेत्र, घने जंगल और जलाशय हैं। भारत-म्यांमार सीमा के दोनों ओर रहे रहे स्थानीय निवासियों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं जनजातीय संबंध होने के कारण इस क्षेत्र में ‘मुक्त आवाजाही’ की व्यवस्था एवं सुविधा उपलब्ध है।‘ इसके कारण दोनों ओर के निवासियों को सीमा के दोनों ओर 16 किलोमीटर तक के क्षेत्र में आवाजाही की अनुमति है।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके अलावा खराब सड़क सम्पर्क तथा अवसंरचना की कमी के कारण भारत-म्यांमार सीमा पर अवैध रूप से सीमापरी करने मामलों, विद्रोही गतिविधियों, शस्त्र एवं गोला-बारूद सहित अवैध माल की तस्करी की संभावनाएं अधिक है और यह सुरक्षा बलों लिए बड़ी चुनौती है। समिति ने अपनी सिफारिशों में यह भी कहा है कि परिचालनात्मक क्षेत्रों में अपनी आवश्यकता के अनुसार प्रत्येक केंद्रीय सुरक्षा बल को पास के देशों की विदेशी भाषा और उक्त राज्य की स्थानीय भाषा संबंधी बुनियादी पाठ्यक्रम शुरू करना चाहिए। 

समिति के अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि देश के उत्तरी सीमा पर तैनात केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को तिब्बती, चीन से जुड़ी मंडारिन भाषा सीखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल ही में तवांग में चीन से लगी सीमा पर कुछ पर्चे मिले थे और वहां तैनात कर्मियों को यह पता नहीं लगा कि इसमें क्या लिखा है। इसमें चीन की ओर से दावा किया गया था कि वह उनका इलाका है। जोशी ने कहा कि ऐसे में सीमा पर तैनात कर्मियों को पास के देश की भाषा और तैनात वाली राज्य की स्थानीय भाषा सीखनी चाहिए।

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