Thursday, March 28, 2024
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गे, लेस्बियन और बायसेक्सुअल थर्ड जेंडर की श्रेणी में नहीं: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडरों पर अपने 2014 के आदेश में संशोधन से इनकार करते हुए आज स्पष्ट किया कि समलैंगिक महिला, पुरुष और उभयलिंगी लोग तीसरा लिंग नहीं हैं। न्यायमूर्ति एके सीकरी और

Bhasha Bhasha
Updated on: June 30, 2016 16:03 IST
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नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने ट्रांसजेंडरों पर अपने 2014 के आदेश में संशोधन से इनकार करते हुए आज स्पष्ट किया कि समलैंगिक महिला, पुरुष और उभयलिंगी लोग तीसरा लिंग नहीं हैं। न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति एनवी रमन ने कहा कि 15 अप्रैल 2014 के आदेश से यह पूरी तरह स्पष्ट है कि समलैंगिक महिला, पुरुष और उभयलिंगी लोग ट्रांसजेंडर नहीं हैं।

केंद्र की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) मनिंदर सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूर्व के आदेश से यह स्पष्ट नहीं है कि समलैंगिक महिला, पुरष और उभयलिंगी लोग ट्रांसजेंडर हैं या नहीं।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में एक स्पष्टता की आवश्यकता है। कुछ ट्रांसजेंडर कार्यकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने कहा कि केंद्र उच्चतम न्यायालय के 2014 के आदेश को पिछले दो साल से यह कहकर क्रियान्वित नहीं कर रहा है कि उसे ट्रांसजेंडरों के मुद्दे पर स्पष्टता की आवश्यकता है।

पीठ ने एएसजी से कहा, हमें आवेदन को शुल्क (कॉस्ट्स) के साथ क्यों नहीं खारिज कर देना चाहिए। इसने यह भी कहा, किसी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है। आवेदन का (केंद्र के) निपटारा किया जाता है।

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