
नई दिल्ली: होमोसेक्सुअलिटी को लेकर छिड़ी बहस के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का बड़ा बयान सामने आया है। संघ ने कहा है कि होमोसेक्सुअलिटी अपराध नहीं है। संघ ने इस बात पर जोर दिया है कि सेक्स का चुनाव तब तक अपराध नहीं है जबतक वो दूसरों को प्रभावित न करे।
आरएसएस के दत्तात्रेय होसबले ने ट्वीट कर कहा है, 'होमोसेक्सुएलिटी अपराध नहीं है, बल्कि हमारे समाज में इसे गलत माना जाता है। इन्हें सजा देने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे साइकोलॉजिकल केस की तरह लेना चाहिए।' आरएसएस का यह बयान उस बहस को और बल दे सकता है जिसमें समलैंगिकता को अपराध न मानने की दलील दी जाती है।
भारत का नाम दुनिया के उन 70 देशों में शामिल है, जहां होमोसेक्शुअलिटी आपराधिक कृत्य है। धारा 377 के तहत होमोसेक्शुअलिटी को अप्राकृतिक सेक्स की कैटेगरी में रखा गया है। इसमें 10 साल तक की सजा हो सकती है। 2009 में दिल्ली हाई कोर्ट ने धारा 377 को रद्द कर दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 में 158 साल पुराने कानून की इस धारा को बरकरार रखा। एलजीबीटी कम्युनिटी को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के अपने आदेश का रिव्यू करने के लिए दायर क्यूरेटिव पिटीशन कॉन्स्टिट्यूशन बेंच को सौंप दी।