Friday, April 26, 2024
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हिमालय की गोद में बना 'झील बम', अपने साथ लाएगी भयानक तबाही!

इस गोमुख निकलकर आगे बढ़ने वाली जलधारा को भागीरथी कहते हैं जो आगे चलकर गंगा नदी बनती है। इसी जलधारा में गोमुख के मुहाने के पास एक झील का निर्माण हुआ है और यही झील आगे चलकर विनाश का कारण बन सकती है। ये झील इसी साल जुलाई-अगस्त महीने में बाढ़ के दौरान बन

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: October 28, 2017 11:32 IST
Gaumukh- India TV Hindi
Gaumukh

नई दिल्ली: हिमालय की गोद में एक ऐसे झील बम का निर्माण हो रहा है जो केदारनाथ की तरह तबाही मचा सकता है। ये बम अभी छोटा है लेकिन 4000 मीटर की ऊंचाई पर गंगा की धाराओं के बीच इसका ख़तरा बहुत बड़ा है क्योंकि गंगोत्री के आस-पास रहने वाले और गंगोत्री तीर्थ पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ये ख़तरा किसी भी दिन जानलेवा बन सकता है। हिमालय के ऊंचे पहाड़ों की बर्फ़ों में ही कई नदियों के उद्गम का फ़लसफ़ा है। इसी हिमालय के गंगोत्री ग्लेशियर के गोमुख नाम की जगह से गंगा नदी निकलती है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं।

इसी गोमुख के मुहाने पर एक झील निर्माणाधीन है यानी बन रही है। गोमुख में गंगोत्री ग्लेशियर पिघलती है और फिर यहीं से गंगा नदी हिमालय के नीचे उतरने लगती है लेकिन इस साल गंगोत्री में आई बाढ़ ने सारी तस्वीर बदल दी। बाढ़ का पानी उतर गया, लेकिन इस झील को गोमुख के पास छोड़ गया। इस ग्लेशियर की जिस जगह पर ग्लेशियर पिघलकर पानी बनता है वहां गाय के मुख या मुंह की तरह आकृति दिखती है, जिसे गोमुख कहते हैं।

 
इस गोमुख निकलकर आगे बढ़ने वाली जलधारा को भागीरथी कहते हैं जो आगे चलकर गंगा नदी बनती है। इसी जलधारा में गोमुख के मुहाने के पास एक झील का निर्माण हुआ है और यही झील आगे चलकर विनाश का कारण बन सकती है। ये झील इसी साल जुलाई-अगस्त महीने में बाढ़ के दौरान बनी है। बाढ़ के कारण धारा के मुहाने पर करीब 30 मीटर ऊंचे मलबे का ढेर लग गया जिससे गोमुख के मुहाने पर क़रीब 4 मीटर गहरी झील बन गई। इस झील की वजह से जलधारा का रास्ता भी बदल गया और ये सीधे बहने के बजाय अब दाईं तरफ से बहने लगी।

देहरादून के वाडिया इंस्ट्रीट्यूट के वैज्ञानिकों को आशंका है कि अगर भागीरथी का बहाव रुक गया तो यहां 30 मीटर ऊंची, 50-60 मीटर लंबी और करीब 150 मीटर चौड़ी झील बन जाएगी। यानी मौजूद 4 मीटर गहरी झील विशाल आकार ले लेगी। साथ ही साथ इसके किनारे पर 30 मीटर ऊंचे मलबे का ढेर, बोल्डर, रेत और आइस ब्लॉक जमा होंगे जो आगे चलकर विनाश का सबब बन सकते हैं।

गोमुख के मुहाने पर बनी झील का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिक बताते हैं कि केदारनाथ के पास चौराबाड़ी ग्लेशियर की झील करीब 7 मीटर गहरी और 100 मीटर चौड़ी थी। इतनी कम गहराई और चौड़ाई के बावजूद इसने भारी विनाश मचाया। वैज्ञानिकों के मुताबिक उस वक्त भी वैज्ञानिकों ने चेताया था कि चौराबाड़ी की वजह से भारी तबाही आ सकती है, लेकिन तब इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। एक बार फिर झील बम गोमुख के मुहाने पर मौजूद हुआ है जो शुरुआत में ही 4 मीटर गहरा है जो आने वाले समय में ये 30 मीटर ऊंची, 50-60 मीटर लंबी और करीब 150 मीटर चौड़ी झील बन जाएगी इसलिए गोमुख की झील से ख़तरा तब-तब बना रहेगा, जब

झील बम से ख़तरा कब?

  • ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से ग्लेशियर पिघलने में तेज़ी आएगी
  • बादल फटने से ग्लेशियर वाले इलाक़े में भारी बारिश होगी
  • बाढ़ के साथ मलबा और बोल्डर निचले इलाक़ों में जाएगा

बहरहाल, वैज्ञानिक ये भी कह रहे हैं कि भविष्य में गोमुख की झील से तबाही तो आ सकती है लेकिन ये बर्बादी केदारनाथ की तरह होगी इस पर सवाल है। वजह है कि केदारनाथ की चौराबाड़ी झील काफ़ी ऊंचाई पर थी। वहां बादल फटने के साथ तेज़ी से पानी-मलबा और बोल्डर नीचे की तरफ़ आए जबकि गंगोत्री के पास बनी झील इतनी ऊंचाई पर नहीं है।

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