Thursday, March 28, 2024
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गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 22 साल पुराने मामले में हिरासत में

भट्ट 1996 में बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। मामले की जानकारी के अनुसार भट्ट के नेतृत्व में बनासकांठा पुलिस ने वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को करीब एक किलोग्राम मादक पदार्थ रखने के आरोप में 1996 में गिरफ्तार किया था।

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: September 05, 2018 14:23 IST
गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 22 साल पुराने मामले में हिरासत में- India TV Hindi
गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट 22 साल पुराने मामले में हिरासत में

अहमदाबाद: पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को गुजरात सीआईडी ने बुधवार को 22 साल पुराने एक मामले में हिरासत में लिया है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने यह जानकारी दी। पूर्व आईपीएस अधिकारी को 22 साल पहले कथित तौर पर मादक पदार्थ रखने के मामले में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के संबंध में हिरासत में लिया गया है। पुलिस महानिदेशक (अपराध जांच विभाग) आशीष भाटिया ने बताया कि भट्ट और बनासकांठा पुलिस से जुड़े हुए कुछ पूर्व पुलिसकर्मियों समेत सात अन्य को इस मामले में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।

भट्ट 1996 में बनासकांठा जिले के पुलिस अधीक्षक थे। मामले की जानकारी के अनुसार भट्ट के नेतृत्व में बनासकांठा पुलिस ने वकील सुमेर सिंह राजपुरोहित को करीब एक किलोग्राम मादक पदार्थ रखने के आरोप में 1996 में गिरफ्तार किया था। उस समय बनासकांठा पुलिस ने दावा किया था कि मादक पदार्थ जिले के पालनपुर में होटल के उस कमरे से मिला था जिसमें राजपुरोहित ठहरे थे।

हालांकि राजस्थान पुलिस की जांच में खुलासा किया गया था कि राजपुरोहित को इस मामले में बनासकांठा पुलिस ने कथित तौर पर फंसाया था। यह भी खुलासा किया गया कि राजपुरोहित को बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पाली जिले में स्थित उनके आवास से कथित रूप से अगवा किया था।

इस साल जून में राजपुरोहित की याचिका की सुनवाई के दौरान गुजरात उच्च न्यायालय ने इस मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी थी। उच्च न्यायालय ने सीआईडी को इस मामले की जांच तीन महीने में पूरा करने को कहा।

भाटिया ने बताया कि सीआईडी को भट्ट पर लगे आरोपों के तथ्य मिले हैं जिसके बाद उन्हें हिरासत में लिया गया और पूछताछ के बाद भट्ट तथा अन्य को गिरफ्तार किया जा सकता है। भट्ट को गृह मंत्रालय ने अगस्त 2015 में ‘सेवा से अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित’ रहने की वजह से पद से बर्खास्त कर दिया था।

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