1939 में सरला कमर्शियल लाइसेंस लेने की तैयारी कर रही थी लेकिन तभी दूसरा विश्व युद्ध छिड़ गया और उन्हें ट्रेनिंग रोकनी पड़ी। बाद में एक विमान दुर्घटना में उनके पति का देहांत हो गया और उन्होंने कमर्शियल पायलट बनने का इरादा छोड़ दिया।
पति की मृत्य के बाद वह लाहोर वापस लौट गईं और मेयो स्कूल ऑफ़ आर्ट में दाख़िला ले लिया जहां उन्होंने बंगाल स्कूल ऑफ पेंटिंग सीखी और फ़ाइन आर्ट में डिप्लोमा लिया।
विभाजन के बाद सरला अपनी दो बेटियों के साथ दिल्ली आ गईं। दिल्ली में ही उनकी मुलाकात पी.पी. ठकराल से हुई जिनसे उन्होंने 1948 में शादी कर ली।
सरला अपने जीवनकाल में एक सफल उद्धमी और पेंटर बनी। वह कपड़े और गहने भी डिज़ाइन करती थी।
15 मार्च 2009 को 85 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।