नई दिल्ली: 15 अगस्त, 1947 से पहले हमारे देश पर अंग्रेजों का शासन था और हमारे स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी अपने-अपने तरीके से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे।
भारत की आजादी के इस आंदोलन के दौरान ही एक झंडे की जरूरत भी बार-बार महसूस की जा रही थी, जिसके तले तमाम देशवासियों को इकट्ठा किया जा सके।
इसी के मद्देनजर पहली बार 7 अगस्त, 1906 को कलकत्ता के पारसी बागान चौक में जिस तिरंगे को फहराया गया, उसमें हरे, पीले और लाल रंग की तीन पट्टियां थीं।
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