Wednesday, April 17, 2024
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होमबायर्स का पैसा कहीं और लगाना गलत, हम इस बेतुकी हरकत को समाप्त करना चाहते हैं: सुप्रीम कोर्ट

 सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों का निवेशकों से प्राप्त कोष का दूसरी जगह उपयोग एक ‘बुराई’ है और वह इस ‘बकवास’ को हमेशा के लिये रोकना चाहता है। 

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: August 02, 2018 0:00 IST
armrapali group- India TV Hindi
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नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि जमीन-जायदाद के विकास से जुड़ी कंपनियों का निवेशकों से प्राप्त कोष का दूसरी जगह उपयोग एक ‘बुराई’ है और वह इस ‘बकवास’ को हमेशा के लिये रोकना चाहता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर रीयल एस्टेट कंपनियां या बिल्डर किसी आवासीय परियोजना या वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिये निवेशकों से प्राप्त धन का दूसरी परियोजनाओं को पूरा करने में उपयोग करते हैं, तो यह प्रथम दृष्ट्या गबन और आपराधिक विश्वासघात का मामला बनता है। 

जस्टिस अरूण मिश्रा और जस्टिस उदय यू ललित की पीठ ने संकटग्रस्त रीयल एस्टेट कंपनी आम्रपाली समूह से संबद्ध मामले की सुनवाई के दौरान यह बात कही। पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कैसे आम्रपाली समूह ने 2,765 करोड़ रुपये का कोष कथित रूप से अन्य परियोजनाओं में किया। 

कोर्ट ने कहा, ‘‘कैसे वे (चार्टर्ड एकाउंटेंट) इस प्रकार धन की हेराफेरी की अनुमति दे सकते हैं।’’ पीठ ने कहा कि निवेशक ने किसी परियोजना को पूरा करने के लिये जो पैसा दिया है, उसका दूसरी परियोजनाओं में उपयोग नहीं हो सकता क्योंकि यह आपराधिक गबन है। 

शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘यह (कोष का दूसरी जगह उपयोग) एक समस्या है जो सभी बिल्डरों को प्रभावित कर रहा है। हम इस बेतुकी हरकत को हमेशा के लिये समाप्त करना चाहते हैं। 

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