Friday, March 29, 2024
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दिल्ली की वायु गुणवत्ता “गंभीर” स्तर पर पहुंचने के कगार पर, 10 नवंबर तक निर्माण कार्यों पर रोक

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के मुताबिक दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 दर्ज किया गया जो बेहद खराब की श्रेणी में आती है और गंभीर की श्रेणी से महज सात बिंदु नीचे है।

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Updated on: November 01, 2018 22:28 IST
Delhi air pollution- India TV Hindi
Delhi air pollution

नई दिल्ली: दिल्ली की वायु गुणवत्ता आस-पड़ोस के इलाकों में पराली जलाए जाने और प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के कारण ‘‘गंभीर” स्तर पर पहुंचने के कगार पर है जिसे देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी में बृहस्पतिवार को निर्माण कार्य प्रतिबंधित कर दी गई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के डेटा के मुताबिक दिल्ली का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक 393 दर्ज किया गया जो बेहद खराब की श्रेणी में आती है और गंभीर की श्रेणी से महज सात बिंदु नीचे है।

गुड़गांव, फरीदाबाद और नोएडा में एक्यूआई 416 दर्ज किया गया जो ‘‘गंभीर” की श्रेणी में आता है जबकि गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा में वायु गुणवत्ता ‘‘बहुत खराब” दर्ज की गई। हवा में अतिसूक्ष्म कणों पीएम2.5 की मौजूदगी 217 दर्ज की गई। सीपीसीबी के आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में पीएम10 का स्तर 368 रहा।

केंद्र संचालित वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एवं शोध प्रणाली (सफर) ने कहा है कि अगले तीन दिनों तक दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई “बहुत खराब” की ऊपरी श्रेणी में बना रहेगा। सफर की वेबसाइट के मुताबिक, “यह मुख्यत: मौसमी परिस्थितियों के कारण है क्योंकि पराली जलाने का असर अब कम हो गया है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिल्ली और उसके आस-पास के इलाकों की हवा में नमी का प्रवेश चार नवंबर से बढ़ेगा जिससे वातावरण में पीएम2.5 को सोखने की क्षमता बढ़ जाएगी।”

संस्थान ने कहा, “हवा शांत हैं जो प्रदूषण को लंबे समय तक रोक कर रखेंगी। हालांकि ऊपरी हवाएं पराली जलाए जाने वाले इलाकों की तरफ से बह रही हैं लेकिन गति धीमी है और इसी वजह से दिल्ली की वायु गुणवत्ता को महत्त्वपूर्ण ढंग से प्रभावित कर सकती है।”

सफर के मुताबिक दिल्ली में पीएम2.5 के कारण होने वाला 12 प्रतिशत प्रदूषण पराली जलाए जाने के कारण है। दिल्ली की वायु गुणवत्ता बिगड़ने के साथ ही विनिर्माण गतिविधियों पर 10 दिनों के लिए रोक लगा दी गई ताकि धूल से प्रदूषण का स्तर और बढ़े नहीं। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने परिवहन विभाग और यातायात पुलिस को भी निर्देश दिया है कि वे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर नजर रखे।

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