Friday, March 29, 2024
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सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या केस की सुनवाई आज से, शिया वक्फ बोर्ड ने फंसाया पेच

शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफीडेविट फाइल किया है जिसमें जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने की वकालत की है। शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि मस्जिद, मंदिर से दूर मुस्लिम इलाके में बननी चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा था कि बाबरी मस्जिद

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Published on: August 11, 2017 10:44 IST
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नई दिल्ली: लगभग 7 साल बाद राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट की विशेष बेंच सुनवाई शुरू करेगी। कई सालों से लंबित इस मामले की सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की बेंच बनायी है। जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच इस केस की सुनवाई करेगी। आज कोर्ट ये फैसला करेगा कि इस केस में रोज सुनवाई होगी, या फिर तारीख दिए जाएंगे। इस केस में दो दर्जन से ज्यादा पार्टी हैं, उन्हें अपनी बात रखने के लिए कितना समय दिया जाएगा ये भी तय होगा। सुब्ह्मण्यम स्वामी इस केस में रोजाना सुनवाई की मांग करने वाले हैं। ये भी पढ़ें: 12000 करोड़ की रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया पाई-पाई को मोहताज

शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक एफीडेविट फाइल किया है जिसमें जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने की वकालत की है। शिया वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से कहा है कि मस्जिद, मंदिर से दूर मुस्लिम इलाके में बननी चाहिए। शिया वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा था कि बाबरी मस्जिद पर शिया समुदाय का हक है, और उसपर फैसला लेने का अधिकार शिया वक्फ बोर्ड का है। शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि ये मस्जिद मीर बाकी ने बनवाया था और वो शिया थे। हांलाकि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शिया वक्फ बोर्ड के दावे को गलत बताया है।

विवादित क्षेत्र को 3 भागों में बांटने का आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 2010 में अपने आदेश में अयोध्या के 2.77 एकड़ विवादित क्षेत्र को 3 भागों में बांटने का आदेश दिया था। 3 जजों वाली बेंच ने 2:1 के बहुमत वाले आदेश में कहा था कि उक्त भूमि को 3 पक्षकारों सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बांट दिया जाए। गौरतलब है कि हालिया दिनों में अयोध्या में सरगर्मी बढ़ गई है। बता दें कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर हलचल तेज हो गई है। पिछले कुछ दिनों में अयोध्या में पत्थरों से लदे ट्रक आ रहे हैं। वैसे तो अयोध्या में नब्बे के दशक से ही पत्थर लाने का काम जारी है।

मंदिर निर्माण के लिए लगातार आ रहे थे पत्थर

साल 2007 तक मंदिर निर्माण के लिए लगातार पत्थर आए। इसके बाद कभी राजस्थान सरकार के खदानों के नियम बदलने की वजह से पत्थर आने में रुकावट हुई तो कभी यूपी सरकार के नियम इसके आड़े आए। ऐसे में जहां पहले करीब तीस से चालीस कारीगर पत्थर तराशने का काम करते थे वहीं उनकी तादाद घट के दस से पंद्रह के बीच रह गई।

‘कोर्ट का फैसला खिलाफ आया तो यूं हो सकता है राम मंदिर का निर्माण’

इंडिया टीवी के खास कार्यक्रम ‘संवाद’ में बीजेपी नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा था कि यदि कोर्ट का फैसला राम मंदिर के हक में नहीं गया तो सरकार संसद में कानून पास करके कोर्ट के फैसले को पलट सकती है और उसके बाद राम मंदिर का निर्माण किया जाएगा। राम मंदिर पर तारीख पर तारीख दिए जाने पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए 'संवाद' स्वामी ने कहा, ‘पहले तो हमारा निर्णय है कि हम यह कोर्ट के जरिए करेंगे। कोर्ट के निर्णय के बारे में हम अनुमान ही कर सकते हैं। बाकी लोग जहां प्रॉपर्टी इशू पर जोर दे रहे हैं, वहीं मैं यह कहता हूं कि यह हमारा मूलभूत अधिकार है कि जहां भगवान राम पैदा हुए वहां मंदिर बनना चाहिए और मुझे उम्मीद है कि कोर्ट जुलाई तक इस पर कुछ न कुछ फैसला जरूर करेगा।’

यह पूछे जाने पर कि क्या राम मंदिर बीजेपी के लिए मजबूरी है या जरूरी, स्वामी ने कहा कि यह मंदिर बीजेपी के लिए अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि हम राम मंदिर के दम पर ही सत्ता में आए और यह हमारे मैनिफेस्टो में भी है।

‘हम पार्लियामेंट में कोर्ट का फैसला पलट भी सकते हैं’

जब स्वामी से सवाल किया गया कि क्या आप कोर्ट का फैसला मानेंगे, स्वामी ने कहा कि कोर्ट के फैसले का हम ज्यादा दिन तक इंतजार नहीं कर सकते, और कोर्ट का फैसला खिलाफ आया तो हम संसद में कानून बनाकर वह फैसला पलट भी सकते हैं। स्वामी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने भी शाह बानो केस में कानून बनाकर कोर्ट का फैसला पलटा था, और हम भी ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम कोर्ट का फैसला पार्लियामेंट में बदल भी सकते हैं। कांग्रेस ने भी शाह बानो केस में ऐसा किया था।’

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