Tuesday, April 16, 2024
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मुंबई में इमारत ढहने से 32 लोगों की मौत, 14 लोगों को ज़िंदा निकाला गया

एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रबंधन, अग्निशमन कर्मी, खोजी कुत्ते के दस्ते व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मलबे में से लोगों को खोजने के लिए लगाए गए हैं। इस दौरान स्थानीय निवासियों, खास तौर से दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों ने अपने राहत प्रयास शुरू किए और हाथों से मलबे

India TV News Desk Edited by: India TV News Desk
Published on: September 01, 2017 7:33 IST
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नई दिल्ली: मुंबई के भिंडी बाज़ार में हुए इमारत हादसे में अभी तक मलबे से शवों का निकलना जारी है। अभी तक 32 लोगों की मौत की ख़बर है जबकि 14 लोगों को मलबे से ज़िंदा निकाला जा चुका है। जो गंभीर रूप से घायल हैं उन्हें जेजे अस्पताल में भर्ती किया गया है। एनडीआरएफ, पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीम राहत और बचाव के काम में लगी हुई है। जेसीबी की मदद से रातभर मलबे को हटाने का काम जारी रहा। बताया जा रहा है कि 117 साल पुराने हुसैनी बिल्डिंग के मलबे में अभी 8 से 10 लोगों के फंसे होने की आशंका है। एनडीआरएफ की टीम मलबे में फंसे लोगों को निकालने के लिए अत्याधुनिक कैमरे और डॉग स्क्वाड की मदद ले रही है।

इमारत के गिरने के कारणों की जांच हो रही है। दक्षिण मुंबई के भीड़भाड़ वाले भिंडी बाजार के मौलाना शौकत अली रोड पर हुसैनी बिल्डिंग को छह साल पहले खतरनाक घोषित किया गया था। गुरुवार सुबह 8.25 बजे यह भरभरा कर गिर गई। इसमें इमारत के निवासी फंस गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हादसे को लेकर दुख जताया है।

मोदी ने ट्वीट किया, "मुंबई में एक इमारत के गिरने की घटना दुखद है। मेरी संवेदना इसमें जान गंवाने वाले लोगों के परिवार के साथ है और मैं घायलों के लिए प्रार्थना करता हूं।" महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटनास्थल का दौरा किया और घटना की जांच का आदेश दिया। पुनर्वास मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने मृतकों के परिजनों के लिए 5 लाख रुपये की मुआवजा राशि दिए जाने व घायलों का मुफ्त इलाज कराने की घोषणा की।

विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने एमएचएडीए को इमारत का पुनर्निर्माण सुनिश्चित नहीं करने के लिए जिम्मेदार ठहराया। घायलों में पांच अग्निशमन कर्मी व एक एनडीआरएफ जवान भी शामिल है।एक महिला ने बताया कि इमारत में एक प्लेस्कूल भी था। जिस समय इमारत ढही, प्लेस्कूल उसके दो घंटे बाद खुलने वाला था।

दोपहर में बीएमसी की एक बुलेटिन में बताया गया कि इमारत के भूतल पर एक खाली गोदाम था और शेष ऊपरी मंजिलों में 10 घर थे।एक बीएमसी के अधिकारी ने कहा, "खतरनाक इमारत को खाली करने के लिए 2011 में नोटिस दी गई और निवासियों को खाली करने का आदेश दिया गया जिससे पुनर्विकास परियोजना शुरू हो सके, लेकिन लोगों ने चेतावनी का पालन नहीं किया।"

एनडीआरएफ, राज्य आपदा प्रबंधन, अग्निशमन कर्मी, खोजी कुत्ते के दस्ते व इलेक्ट्रॉनिक उपकरण मलबे में से लोगों को खोजने के लिए लगाए गए हैं। इस दौरान स्थानीय निवासियों, खास तौर से दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों ने अपने राहत प्रयास शुरू किए और हाथों से मलबे को हटाकर पीड़ितों को बचाने का प्रयास किया। मुंबई में मंगलवार की बाढ़ के बाद यह इमारत गिरने का पहला बड़ा हादसा है और 26 अगस्त को चंडीवली क्रिस्टल बिजनेस पार्क में हादसे के पांच दिन बाद यह दूसरा हादसा है। बिजनेस पार्क हादसे में छह लोगों की मौत हुई थी। इससे पहले बीती 25 जुलाई को घाटकोपर में साई दर्शन बिल्डिंग के गिरने से 17 लोगों की मौत हो गई थी।

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