Friday, April 26, 2024
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गोवा से 36 घंटों में उखाड़ फेंका था 450 साल पुराना पुर्तगाली शासन, जानिए पीछे की कहानी

भारत को आजादी मिले 14 बरस बीत चुके थे लेकिन गोवा पर पुर्तगाली शासन बरकरार था। फिर, 18 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और सैनिकों की टुकड़ी गोवा के बॉर्डर में घुस गई।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: December 19, 2018 12:28 IST
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Image Source : BHARAT-RAKSHAK.COM .

भारत को आजादी मिले 14 बरस बीत चुके थे लेकिन गोवा पर पुर्तगाली शासन बरकरार था। फिर, 18 दिसंबर 1961 को भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय शुरू किया और सैनिकों की टुकड़ी गोवा के बॉर्डर में घुस गई। 36 घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जमीनी, समुद्री और हवाई हमले होते रहे। पुर्तगाली सेना के हौसले पस्त हो गए, उसने बिना किसी शर्त 19 दिसंबर को हथियार डाल दिए और इसी के साथ गोवा भारत का हिस्सा बन गया। फिर, 30 मई, 1987 को गोवा को अलग राज्‍य का दर्जा दिया गया जबकि दमन एवं दीव केंद्रशासित क्षेत्र बने रहे।

पुर्तगालियों की आखिरी रवानगी

गोवा में हुआ ये युद्ध यहां से पुर्तगालियों की आखिरी रवानगी का सफर था। भारत में सबसे पहले पुर्तगाली ही आए थे, ये दौर था 1510 का। बीजापुर के सुल्‍तान युसूफ आदिल शाह को हराकर वेल्‍हा गोवा (पुराना गोवा) पर कब्‍जा कर पुर्तगालियों ने स्‍थाई कॉलोनी बनाई। 1843 में पणजी को राजधानी बनाया। लेकिन, ये अंग्रेजों की हुकूमत से अलग शासन था और इनकी नीतियां भी अंग्रेजी शासन से अपेक्षाकृत उदार थी।

सबसे पहले भारत आए पुर्तगालियों का आखिरी बेड़ा 1961 में गोवा युद्ध के बाद यहां से रवाना हुआ। तो कहा जा सकता है कि गोवा कि आजादी के साथ ही भारत में सबसे पहले दाखिल हुए पुर्तगालियों की आखिरी रवानगी हुई। यहां उन्होंने करीब 451 साल तक राज किया। अब इस राज को खत्म करने और गोवा को आजाद करने के खुशी में हर साल 19 दिसंबर को 'गोवा मुक्ति दिवस' मनाया जाता है।

भारत अपनी आजादी के साथ से ही गोवा को भी आजाद कराने की चाह में था लेकिन गोवा की तमाम रणनीतिक स्थितियों के कारण पुर्तगाली इसे छोड़ने को राजी नहीं हुए। 27 फरवरी, 1950 को भारत सरकार ने पुर्तगाल से इस बारे में बातचीत का आग्रह भी किया। लेकिन, पुर्तगाल ने कहा कि गोवा उसकी कॉलोनी नहीं बल्कि महानगरीय पुर्तगाल का हिस्‍सा है। इसलिए भारत को इससे हस्‍तांतरण नहीं किया जा सकता।

पुर्तगाल शासन के इस बयान के बाद भारत के पुर्तगाल से कूटनीतिक संबंध खराब हो गए। लिहाजा, 1954 में गोवा से भारत के विभिन्‍न हिस्‍सों में आने के लिए वीजा पाबंदियां लगा दी गईं। इसी बीच गोवा में आजादी का आंदोलन तूल पकड़ चुका था। थोड़ा और वक्त गुजरा, भारत में राजनीतिक स्थितियों ने गोवा की आजादी के लिए वक्त को अनुकूल माना और फिर 18 दिसंबर, 1961 को भारत ने गोवा, दमन और दीव पर सैन्‍य हस्‍तक्षेप किया। अगले 36 घंटे के भीतर जमीनी, समुद्री और हवाई हमलों ने पुर्तगाल के पांव उखड़ गए।

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