Thursday, April 25, 2024
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जयपुर: गोशाला का दावा- गायों को भजन सुनाने से दुग्ध उत्पादन 20 प्रतिशत बढ़ा

संगीत सुनने से पहले गायों के चहरे सुस्त रहते थे लेकिन संगीत सुनने के बाद अलबेली मुस्कान रहती है। छह माह में संगीत सुनने से पूर्व जो गायें दुर्बल थी वो अब तंदुरुस्त हो गई हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Updated on: March 25, 2018 14:40 IST
इस गोशाला में करीब हर...- India TV Hindi
इस गोशाला में करीब हर महीने 6 लाख रुपए खर्च आता है।

जयपुर: संगीत केवल मानव जीवन को ही सुकून नहीं देता है और उसे एक स्वस्थ जीवन देता है बल्कि गोवंश पर भी इसके सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। संगीत से गायों के दुग्ध उत्पादन की क्षमता में भारी बढ़ोतरी पाने में कामयाबी हासिल की गयी है। राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना में खेतडी रोड पर स्थित श्रीगोपाल गौशाला में गायों को प्रतिदिन सुबह और शाम एम्पलीफायर लगाकर तीन तीन घंटे संगीत सुनाया जाता है। गौशाला के प्रबन्धकों का दावा है कि उनके यहां दुग्ध उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो गयी है।  गौशाला के अध्यक्ष दौलतराम गोयल ने बताया कि गौशाला में 550 गायों के लिये वर्ष 2016 से सुबह 5.30 बजे से 8.30 बजे तक और शाम को 4.30बजे से 8.00 बजे तक एम्पलीफायर के जरिये भजन सुनाये जाते हैं।  उन्हें गायों को संगीत सुनाने के लिये किसी गौभक्त ने बताया था कि संगीत सुनाने से गायों को ज्यादा हिलोरें आयेंगी और दूध भी बढेगा।

इसका उन्होंने प्रयोग करके देखने की सोची और गौशाला में ध्वनि प्रसारण यंत्र लगा कर वर्ष 2016 में गायों को संगीत सुनाना शुरू किया। शीघ्र ही उन्हें इसके नतीजे मिलने लगे। उन्होंने बताया कि गायों को अच्छी तरह से रखने के लिये गौशाला में उन्होंने चालीस फुट लम्बा और 54 फुट चौडा आरसीसी का हॉल बनाया है जिसमें 108 पंखें लगाये गये है। इसमें भी म्यूजिक सिस्टम लगाया जायेगा। वे आशा करते हैं कि इस नई व्यवस्था से गायों की दुघ उत्पादन क्षमता और बढ़ेगी। गोयल ने बताया कि गायों को भजनों के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत भी सुनाया जाता है। संगीत सुनने पहले गायों के चहरे सुस्त रहते थे लेकिन संगीत सुनने के बाद अलबेली मुस्कान रहती है। छह माह में संगीत सुनने से पूर्व जो गायें दुर्बल थी वो अब तंदुरुस्त हो गई हैं। 

उन्होंने बताया कि गौशाला में गायों की 24 घंटें देखभाल करने के लिये 22 कर्मचारी है और गौशाला का प्रतिमाह करीब सात लाख रूपये खर्चा आता है। उसमें दो लाख रूपये प्रतिमाह दूध बेचकर आते है वहीं शेष रकम जनसहयोग से मुंबई, सूरत, जयपुर नीमकाथाना से जुटाई जाती है।  इस गौशाला के अच्छे संचालन के लिये राज्य सरकार की ओर से उन्हे सम्मानित भी किया गया था।  गौशाला के संचालन के लिये गोयल नीमकाथाना के प्रत्येक स्कूल में जाते है और विद्यार्थियों को गायों के लिये दान के लिये प्रेरित करते हैं। कस्बे के करीब 25 स्कूलों से प्रतिवर्ष दो लाख रूपये एकत्रित किये जाते हैं। 

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