Thursday, April 25, 2024
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आरुषि की सहेली की जुबानी सुनें मर्डर से पहले की सच्ची कहानी

निशा बताती है जब ये खबर फैलती जा रही थी कि आरुषि का अपने नौकर के साथ संबंध थे तो किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि कैसी-कैसी कहानियां गढ़ी जा रही हैं उस बच्ची के बारे में जिसको चाहने वाले हजार थे। निशा वो दोस्त है आरुषि की जो इंसाफ के लिए आज भी लड़ रही

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Updated on: October 20, 2017 9:11 IST
Aarushi-Talwar- India TV Hindi
Aarushi-Talwar

नई दिल्ली : आरुषि तलवार आज की तारीख में हमारे बीच नहीं है लेकिन उसके बारे में एक सच आज भी जिंदा है। सच ये कि आरुषि हंसना जानती थी, लोगों को हंसाना जानती थी। वो अपने दोस्तों में सबसे खास थी, सबसे अलग थी, सबसे जुदा थी और सबसे बेहरतीन थी। उसकी कहानियां आज भी दोस्तों के बीच सुनी और सुनाई जाती है। अब जब उसके मम्मी-पापा उसके कत्ल के आरोप से बरी हो गए हैं तो एक बार फिर से दोस्तों के बीच ये बहस तेज हो गई है कि आखिर आरुषि को मारा तो किसने मारा। ये भी पढ़ें: आखिर टूट गई हनीप्रीत, माना बाबा के साथ 'रिश्ता', कबूल किए गुनाह?

आज भी आरुषि की बेस्ट फ्रेंड निशा उससे जुड़ी यादों को याद करते हुए खो जाती है। वो यादें जिसे बताते हुए निशा की जुबान लड़खड़ाने लगती है। निशा बताती है कि आरुषि दर्द में भी खुशी के रास्ते तलाश लेती थी। सबके लिए सोचती थी। दोस्ती करती और दोस्तों के लिए बड़ा दिल भी रखती थी। नौ साल पहले जब आरुषि मलेशिया घूमने गई थी, तो क्लास में अकेली लड़की थी, जो फॉरेन टूर पर गई थी लेकिन जब लौट कर आई तो सबके लिए कुछ ना कुछ लेकर लौटी थी।

निशा बताती है जब ये खबर फैलती जा रही थी कि आरुषि का अपने नौकर के साथ संबंध थे तो किसी को यकीन नहीं हो रहा था कि कैसी-कैसी कहानियां गढ़ी जा रही हैं उस बच्ची के बारे में जिसको चाहने वाले हजार थे। निशा वो दोस्त है आरुषि की जो इंसाफ के लिए आज भी लड़ रही है। आज भी वॉट्स ग्रुप पर ग्रुप बनाकर लोगों से जुड़ने की गुजारिश करती है । अपनी दोस्त के कातिल को सजा दिलाना चाहती है।

निशा आज भी याद करते हुए कांप जाती है जब उसे पहली बार पता चला था स्कूल में आरुषि की हत्या के बारे में। टुकड़ों में खबर मिल रही थी। कोई कह रहा था सड़क हादसे में मारी गई। कोई कह रहा था हत्या हो गई है। चौदह साल की एक बच्ची का कौन दुश्मन हो सकता है। उस रात सिर्फ आरुषि की मौत नहीं हुई थी। आरुषि के दोस्तों के लिए दोस्ती का एक चैप्टर भी बंद हो गया था।

आरुषि के दोस्तों के लिए आरुषि बहुत कुछ थी। उसकी मौत के बाद सबके लिए एक ऐसा संसार गुम हो गया जहां सबकी खामोशी भी गूंजा करती थी। धड़कनों में आज भी आरुषि की यादें है। उम्र के साथ आरुषि के सारे दोस्त होशियार होते चले गए, लेकिन सबके जेहन में नौ साल से एक सवाल आज भी जिंदा है मेरे दोस्त को किसने मारा। देखें वीडियो अगले स्लाइड में.....

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