Tuesday, April 23, 2024
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मिल गया आरुषि का असली 'हत्यारा'!

क्राइम सीन पर पहुंची नोएडा पुलिस के सामने आरुषि का खून से लथपथ डेडबॉडी पड़ी हुई थी। बावजूद इसके पुलिस ने कत्ल के हथियार यानी आला-ए-कत्ल को खोजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। यही वजह है कि कातिल तो कातिल आज तक आरुषि केस में आला-ए-कत्ल बरामद नहीं हुआ। कत्ल

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Updated on: October 19, 2017 11:55 IST
Aarushi- India TV Hindi
Image Source : PTI Aarushi

नई दिल्ली: 9 साल पहले फ्लैट नंबर एल-32 में आरुषि की हत्या हुई थी और 9 साल बाद आरुषि के उसी फ्लैट के 2 दरवाजे से जुड़ी है कत्ल और कातिल की कड़िया। कातिल कितना भी शातिर क्यों ना हो कोई ना कोई सबूत पीछे जरुर छोड़ता है। ऐसे ही तमाम सबूत दो दरवाजों के पीछे मौजूद थे जो कातिल को 9 साल पहले ही बेनकाब कर देते लेकिन जांच एजेंसियों ने दो दरवाजों के पीछे मौजूद सबूत जुटाने की बजाय पूरे केस को उलझा दिया। मौका-ए-वारदात पर जांच एजेंसी की उसी गलती का नतीजा है कि आज तक आरुषि का कातिल आजाद है और बेगुनाह होते हुए भी आरुषि के मां-बाप को जेल तक जाना पडा। ये भी पढ़ेंं: विपासना ने हनीप्रीत-राम रहीम के खोले राज़, उठाए दोनों के रिश्ते पर से पर्दा

नोएडा पुलिस की पहली गलती

नोएडा पुलिस जब फ्लैट नंबर L- 32  में पहुंची तो देखा कि आरुषि के मम्मी पापा वहां पर मौजूद थे, पुलिस ने आते ही आरुषि के कमरे का दरवाजा खोला। ये वो दरवाजा था जिसके पीछे आरुषि का कत्ल हुआ था। ये उस कमरे का दरवाजा था जिसकी अगर ठीक से जांच होती तो कातिल के सबूत जरूर मिलते। पुलिस को इस क्राइम सीन को प्रोटेक्ट करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया, नतीजा ये हुआ कि पुलिस को इस कमरे से कातिल के निशान तक नहीं मिले।

नोएडा पुलिस की दूसरी गलती

क्राइम सीन पर पहुंची नोएडा पुलिस के सामने आरुषि का खून से लथपथ डेडबॉडी पड़ी हुई थी। बावजूद इसके पुलिस ने कत्ल के हथियार यानी आला-ए-कत्ल को खोजने में दिलचस्पी नहीं दिखाई। यही वजह है कि कातिल तो कातिल आज तक आरुषि केस में आला-ए-कत्ल बरामद नहीं हुआ। कत्ल की तफ्तीश के दौरान जांच एजेंसियों को सुराग की बिनाह पर पुख्ता सबूत जुटाने होते है लेकिन आरुषि केस में ऐसा नहीं हुआ। यही वजह है कि इंवेस्टिगेशन टीम हवा-हवाई दावे करती रही यानी जांच टीम सही नतीजे तक नहीं पहुंच सकी कि कत्ल किस हथियार से हुआ था। बावजूद इसे आरुषि के मम्मी-डैडी को कसूरवार साबित करने में जुटे रहे।

नोएडा पुलिस की तीसरी गलती

पुलिस इंवेस्टिगेशन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्राइम सीन की सही तरीके से जांच तक नहीं की गई। आरुषि के मां-बाप सदमे में थे और मौके पर पहुंची पुलिस पूरे मामले की खाना पूर्ति में जुटी थी। पुलिस ने इतनी जहमत तक नहीं उठाई कि कातिल का सुराग तलाशने के लिए फ्लैट और आसपास से सुराग तलाशती लेकिन ऐसा नहीं हुआ वरना दूसरे दरवाजे के पीछे मौजूद हेमराज की डेडबॉडी भी 16 मई को बरामद हो जाती और पुलिस को कातिल के सुराग मिल जाते। चौंकाने वाली बात ये है कि हेमराज की डेडबॉडी मिलने के बाद भी पुलिस ने इतने सनसनीखेज हत्याकांड को गंभीरता से नहीं लिया।

अगले स्लाइड में आखिर क्यों नोएडा पुलिस से लेकर सीबीआई की दो-दो टीमें उस शातिर कातिल तक नहीं पहुंच सकीं....

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