Friday, March 29, 2024
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आईआईटी के 50 पूर्व छात्रों ने नौकरियां छोड़कर बनाई नई राजनीतिक पार्टी

हम 50 लोगों का एक समूह हैं। सभी अलग - अलग आईआईटी से हैं , जिन्होंने पार्टी के लिए काम करने की खातिर अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ी हैं। हमने मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाली है और इस बीच जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: April 22, 2018 18:28 IST
चित्र का इस्तेमाल...- India TV Hindi
चित्र का इस्तेमाल प्रतीक के तौर पर किया गया है।

नई दिल्ली: प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों ( आईआईटी ) के 50 पूर्व छात्रों के एक समूह ने अनुसूचित जातियों ( एससी ) , अनुसूचित जनजातियों ( एसटी ) और अन्य पिछड़ा वर्गों ( ओबीसी ) के अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए अपनी नौकरियां छोड़कर एक राजनीतिक पार्टी बनाई है। चुनाव आयोग की मंजूरी का इंतजार कर रहे इस समूह ने अपने राजनीतिक संगठन का नाम ‘ बहुजन आजाद पार्टी ’ ( बीएपी ) रखा है। इस समूह के नेतृत्वकर्ता और वर्ष 2015 में आईआईटी - दिल्ली से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके नवीन कुमार ने बताया , ‘‘ हम 50 लोगों का एक समूह हैं। सभी अलग - अलग आईआईटी से हैं , जिन्होंने पार्टी के लिए काम करने की खातिर अपनी पूर्णकालिक नौकरियां छोड़ी हैं। हमने मंजूरी के लिए चुनाव आयोग में अर्जी डाली है और इस बीच जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। ’’ बहरहाल , पार्टी के सदस्य आनन - फानन में चुनावी मैदान में नहीं कूदना चाहते। उन्होंने कहा कि उनका मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव लड़ना नहीं है। 

कुमार ने कहा , ‘‘ हम जल्दबाजी में कोई काम नहीं करना चाहते और हम बड़ी महत्वाकांक्षा वाला छोटा संगठन बनकर रह जाना नहीं चाहते। हम 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से शुरुआत करेंगे और फिर अगले लोकसभा चुनाव का लक्ष्य तय करेंगे। ’’ इस संगठन में मुख्यत : एससी , एसटी और ओबीसी तबके के सदस्य हैं जिनका मानना है कि पिछड़े वर्गों को शिक्षा एवं रोजगार के मामले में उनका वाजिब हक नहीं मिला है। पार्टी ने भीमराव आंबेडकर , सुभाष चंद्र बोस और एपीजे अब्दुल कलाम सहित कई अन्य नेताओं की तस्वीरें लगाकर सोशल मीडिया पर प्रचार शुरू कर दिया है। कुमार ने कहा , ‘‘ एक बार पंजीकरण करा लेने के बाद हम पार्टी की छोटी इकाइयां बनाएंगे जो हमारे लक्षित समूहों के लिए जमीनी स्तर पर काम करना शुरू करेगी। हम खुद को किसी राजनीतिक पार्टी या विचारधारा की प्रतिद्वंद्वी के तौर पर पेश नहीं करना चाहते। ’’ 

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