Saturday, April 20, 2024
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नौसेना में 28 सितंबर को शामिल होगी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी ‘खंडेरी’

भारत की स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में 28 सितंबर को नौसेना में शामिल करेंगे। नौसेना ने मंगलवार को यह जानकारी दी। 

Bhasha Reported by: Bhasha
Published on: September 17, 2019 21:29 IST
प्रतीकात्मक तस्वीर- India TV Hindi
प्रतीकात्मक तस्वीर

नयी दिल्ली: भारत की स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी आईएनएस खंडेरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुंबई में 28 सितंबर को नौसेना में शामिल करेंगे। नौसेना ने मंगलवार को यह जानकारी दी। यह पनडुब्बी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है। वाइस एडमिरल जी अशोक कुमार ने यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि इस मौके पर पी17ए श्रेणी के पहले जलपोत आईएनएस नीलगिरी का जलावतरण और एक विमानवाहक ड्राईडॉक का भी उद्घाटन होगा। उन्होंने कहा कि ‘खंडेरी’ को सक्रिय सेवा में शामिल करने और ‘नीलगिरी’ के जलावतरण के साथ नौसेना की युद्धक क्षमता “कई गुना बढ़ जाएगी।” कुमार ने बताया कि विमान वाहक ड्राईडॉक भारत के सबसे बड़े जहाज आईएनएस विक्रमादित्य को बंदरगाह की गोदी तक ला सकता है। 

कुमार ने संवादाताओं को बताया, “28 सितंबर के दिन तीन कार्यक्रम होने हैं, जो हमारे प्रधानमंत्री के सागर विजन (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और वृद्धि) के अनुरूप हैं।” आईएनएस खंडेरी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है जो तारपीडो के साथ हमला कर सकती है और साथ ही ट्यूब से लॉन्च होने वाली एंटी-शिप मिसाइल से भी मार कर सकती है। स्कॉर्पीन श्रेणी की पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को नौसेना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिसंबर 2017 में शामिल किया गया। इस अवसर पर मोदी ने कहा था कि कलवरी ‘मेक इन इंडिया’ का बेहतरीन उदाहरण है और इससे नौसेना की ताकत बढ़ेगी। खंडेरी को नौसेना में शामिल करने और नीलगिरी के जलावतरण के बाद रक्षा मंत्री आईएनएस विक्रमादित्य पर सवार होकर पूरा दिन समुद्र में ही बिताएंगे। 

कुमार ने बताया, “28 सितंबर की शाम से 29 सितंबर को पूर्वाह्न तक (वह रहेंगे)। दिल्ली वापस आने से पहले वह नौसेना की सभी गतिविधियों का निरीक्षण करेंगे, जिनमें मिसाइल फाइरिंग और समुद्र में विभिन्न अभ्यास शामिल हैं।” उन्होंने बताया कि किसी भी जलपोत या पनडुब्बी के निर्माण में कई चुनौतियां जुड़ी रहती हैं और इनकी जटिलता को देखते हुए कई छोटी-मझोली कंपनियों को इसमें शामिल किया जाता है, ताकि निर्माण कार्य सफलता के साथ पूरा किया जा सके। उन्होंने बताया, “इससे हमारी अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा होगा और तथ्य यह है कि भारत और विदेश के विभिन्न पोत-कारखानों में इस समय हमारे 51 जलपोत निर्माणाधीन हैं और इनमें से 49 भारत के पोत-कारखानों में बन रहे हैं।” 

फ्रांसीसी कंपनी नेवल ग्रुप (जिसे पहले डीसीएनएस कहा जाता था) ने 2005 में छह पनडुब्बी की आपूर्ति के लिए समझौता किया था। फ्रांस की नेवल डिफेंस एंड एनर्जी कंपनी द्वारा डिजाइन की गई पनडुब्बियों को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट-75 के तहत मुंबई में मझगांव डॉक लिमिटेड द्वारा बनाया जा रहा है। पनडुब्बियों के निर्माण में देरी के बारे में कुमार ने कहा कि पूरी प्रक्रिया में थोड़ी देरी “पूरी तरह स्वीकार्य” है और महत्वपूर्ण बात ये है कि ये पनडुब्बियों जब भी नौसेना की दी जाएं तो ये पूरी तरह युद्ध के लिए तैयार हों। एक वरिष्ठ नौसेना अधिकारी के मुताबिक स्कॉर्पीन परियोजना की कुल लागत इस समय करीब 25,000 करोड़ रुपये है, जबकि पी-17ए के तहत सात युद्धपोत की लागत 48,000 करोड़ रुपये है। खंडेरी को लेकर आई दिक्कतों के बारे में पूछने पर कुमार ने कहा “सभी का समाधान हो गया है” और कुछ समुद्री स्वीकार्यता परीक्षण चल रहे हैं और उम्मीद है कि वे समय से पूरे हो जाएंगे। 

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