Thursday, April 25, 2024
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जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई से पहले 150 लोग हिरासत में लिये गये, तनाव व्याप्त

उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई से पहले सरकार ने अलगाववादियों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की और 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जिससे शनिवार को कश्मीर घाटी में तनाव व्याप्त हो गया।

IndiaTV Hindi Desk Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: February 23, 2019 19:51 IST
150 people, most from Jamaat-e-Islami, detained in Jammu and Kashmir- India TV Hindi
150 people, most from Jamaat-e-Islami, detained in Jammu and Kashmir

श्रीनगर: उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई से पहले सरकार ने अलगाववादियों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई की और 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया जिससे शनिवार को कश्मीर घाटी में तनाव व्याप्त हो गया। हिरासत में लिये गये लोगों में मुख्य रूप से जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के प्रमुख अब्दुल हमीद फैयाज सहित इसके सदस्य शामिल हैं। हालांकि, पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया करार देते हुये कहा कि कुछ नेताओं और संभावित पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है। वहीं, घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी पर यह पहली बड़ी कार्रवाई है। 

उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35 ए पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है जिसके तहत जम्मू कश्मीर के निवासियों को विशेष अधिकार मिले हुये हैं। संगठन पूर्व में हिज्बुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। हालांकि, उसने हमेशा खुद को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताया है। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने के बावजूद तनाव व्याप्त है और सड़कों पर लोगों को समूहों में आते-जाते देखा जा रहा है। श्रीनगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज ने अपने संकाय सदस्यों के शीतकालीन अवकाश को रद्द कर दिया और उन्हें सोमवार को काम के लिए सकारात्मक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के विभाग ने दक्षिण श्रीनगर में अपने कर्मचारियों को शनिवार की शाम तक अपने-अपने क्षेत्रों में खाद्यान्न की बिक्री सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां (10,000 जवान) कश्मीर घाटी भेजी गई हैं। 

अधिकारियों ने इस तरह की व्यापक तैनाती के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जमात ने एक बयान जारी कर लोगों को हिरासत में लिये जाने की निंदा की है और कहा है, ‘‘...यह कदम इस क्षेत्र में और अनिश्चितता की राह प्रशस्त करने के लिए भली-भांति रची गई साजिश है।’’ लड़ाकू विमानों के उड़ने की आवाज शुक्रवार की देर रात डेढ़ बजे तक सुनाई दी जिससे पुलवामा हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव के मद्देनजर निवासियों में चिंताएं पैदा हो गईं। हालांकि, आईएएफ के अधिकारियों ने इसे एक नियमित अभ्यास बताया। 

पेट्रोल पंपों के बाहर लम्बी पंक्तियां दिखाई दीं और लोग दुकानों पर आवश्यक वस्तुएं खरीदते हुए दिखाई दिये। जमात ने दावा किया 22 और 23 फरवरी की दरम्यानी रात में पुलिस और अन्य एजेंसियों ने एक व्यापक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की। उसके केन्द्रीय और जिला स्तर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं। 

जमात ने उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35 ए पर एक याचिका की सुनवाई के पहले हुई छापेमारी को ‘संशय में डालने वाली’ करार दिया। इसके अलावा पुलिस ने शुक्रवार रात जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को भी हिरासत में लिया। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने छापेमारी की वैधता पर शनिवार को सवाल उठाते हुये कहा कि ‘मनमाने’ कदम से राज्य में ‘‘मामला जटिल’’ ही होगा। महबूबा ने ट्वीट किया, ‘‘पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और जमात संगटन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। इस तरह की मनमानी कार्रवाई को समझ नहीं पा रही हूं, इससे जम्मू कश्मीर में केवल हालात जटिल ही होंगे।’’ 

उन्होंने कहा, ‘‘किस कानूनी आधार पर उनकी गिरफ्तारी न्यायोचित ठहराई जा सकती है? आप एक व्यक्ति को हिरासत में रख सकते हैं लेकिन उनके विचारों को नहीं।’’ वहीं, हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में लेने और जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के नेताओं पर छापेमारी की निंदा की और कहा कि ‘बल प्रयोग और डराने से’ स्थिति केवल ‘खराब’ ही होगी। मीरवाइज ने ट्वीट किया, ‘‘जमात-ए-इस्लामी नेतृत्व और इसके कार्यकर्ताओं पर रात में हुई कार्रवाई और यासीन मलिक की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हूं। कश्मीरियों के खिलाफ इस तरह के गैरकानूनी और कठोर उपाय निरर्थक हैं और जमीन पर वास्तविकताएं नहीं बदलेंगी। बल प्रयोग और डराने से स्थिति केवल खराब होगी।’’ 

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