Friday, March 29, 2024
Advertisement

2019 चुनाव: मोदी सरकार ने दिया सामान्‍य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण, कांग्रेस ने बताया इसे बेवकूफ बनाने का चुनावी पैंतरा

सामान्य वर्ग के गरीब लोगों को भी मिलेगा आरक्षण, सरकारी नौकरियों में रिजर्वेशन का दायरा 50% से बढ़कर 60% होगा

India TV News Desk Written by: India TV News Desk
Updated on: January 07, 2019 22:49 IST
PM Narendra Modi- India TV Hindi
PM Narendra Modi

नई दिल्ली: लोकसभा चुनावों से पहले बड़ा कदम उठाते हुए केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए नौकरियों एवं शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण के फैसले को मंजूरी दे दी। भाजपा के समर्थन का आधार मानी जाने वाली अगड़ी जातियों की लंबे समय से मांग थी कि उनके गरीब तबकों को भी आरक्षण दिया जाए। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि संसद के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को एक संवैधानिक संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। प्रस्तावित आरक्षण अनुसूचित जातियों (एससी), अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को मिल रहे आरक्षण की 50 फीसदी सीमा के अतिरिक्त होगा, यानी ‘‘आर्थिक रूप से कमजोर’’ तबकों के लिए आरक्षण लागू हो जाने पर यह आंकड़ा बढकर 60 फीसदी हो जाएगा। इस प्रस्ताव पर अमल के लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद से पारित कराने की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में जरूरी संशोधन करने होंगे। 

एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक एक बार पारित हो जाने पर संविधान में संशोधन हो जाएगा और फिर सामान्य वर्गों के गरीबों को शिक्षा एवं नौकरियों में आरक्षण मिल सकेगा। उन्होंने कहा, ‘‘विधेयक मौलिक अधिकारों के प्रावधानों के तहत अगड़ी जातियों के लिए आश्रय प्रदान करेगा। आरक्षण पर अधिकतम 50 फीसदी की सीमा तय करने का न्यायालय का फैसला संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार नहीं छीन सकता।’’ उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी मामले में अपने फैसले में आरक्षण पर 50 फीसदी की सीमा तय कर दी थी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित संविधान संशोधन से अतिरिक्त कोटा का रास्ता साफ हो जाएगा। एक सूत्र ने बताया, ‘‘आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर ऐसे लोगों को दिया जाएगा जो अभी आरक्षण का कोई लाभ नहीं ले रहे।’’ प्रस्तावित कानून का लाभ ब्राह्मण, राजपूत (ठाकुर), जाट, मराठा, भूमिहार, कई व्यापारिक जातियों, कापू और कम्मा सहित कई अन्य अगड़ी जातियों को मिलेगा। सूत्रों ने बताया कि अन्य धर्मों के गरीबों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। 

कांग्रेस ने मोदी सरकार के इस फैसले को लोगों को बेवकूफ बनाने का ‘‘चुनावी पैंतरा’’ करार दिया और कहा कि यह लोकसभा चुनाव हारने के भाजपा के ‘‘डर’’ का प्रमाण है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह देश को गुमराह कर रही है, क्योंकि संसद में संविधान संशोधन पारित कराने के लिए जरूरी बहुमत उसके पास नहीं है।भाजपा ने इस कदम की तारीफ की। पार्टी के कई नेताओं ने इसे ‘‘ऐतिहासिक’’ करार दिया। कुछ नेताओं ने कहा कि यह ‘सबका साथ सबका विकास’ के मोदी सरकार के ध्येय का प्रमाण है। संविधान संशोधन विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में एक धारा जोड़कर शैक्षणिक संस्थाओं और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा। अब तक संविधान में एससी-एसटी के अलावा सामाजिक एवं शैक्षणिक तौर पर पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन इसमें आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का कोई जिक्र नहीं है। संसद में संविधान संशोधन विधेयक पारित कराने के लिए सरकार को दोनों सदनों में कम से कम दो-तिहाई बहुमत जुटाना होगा। भाजपा का मानना है कि यदि विपक्षी पार्टियां इस विधेयक के खिलाफ वोट करती हैं तो वे समाज के एक प्रभावशाली तबके का समर्थन खो सकती है। राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है। 

पिछले कुछ सालों में मराठा, कापू और जाट जैसे प्रभावशाली समुदायों ने सड़क पर उतर कर आरक्षण की मांग की है। कई बार उनके प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुके हैं। हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने इस बाबत कानून बनाए हैं, लेकिन इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय की ओर से 50 फीसदी की सीमा तय करने के फैसले का हवाला देकर अदालत ने उन कानूनों को खारिज कर दिया है। उच्चतम न्यायालय जोर देकर कह चुका है कि संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने का प्रावधान नहीं है और सिर्फ शैक्षणिक एवं सामाजिक पिछड़ेपन के आधार पर ही आरक्षण दिया जा सकता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सामान्य वर्गों के गरीबों को आरक्षण देने की मांग संविधान सभा में भी की गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘पहली बार हम (सरकार) अगड़ी जातियों के गरीबों को संवैधानिक मान्यता देने जा रहे हैं।’’ इस विधेयक में प्रावधान किया जा सकता है कि जिनकी सालाना आय 8 लाख रुपए से कम और जिनके पास पांच एकड़ से कम कृषि भूमि है, वे आरक्षण का लाभ ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि ऐसे लोगों के पास नगर निकाय क्षेत्र में 1000 वर्ग फुट या इससे ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए और गैर-अधिसूचित क्षेत्रों में 200 यार्ड से ज्यादा का फ्लैट नहीं होना चाहिए। सत्ताधारी भाजपा को उम्मीद है कि इस विधेयक से उसे अगड़ी जातियों का वोट जुटाने में मदद मिलेगी। अप्रैल-मई में संभावित लोकसभा चुनावों से पहले सरकार ने यह कदम उठाया है। 

Latest India News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। National News in Hindi के लिए क्लिक करें भारत सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement