Friday, April 19, 2024
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तस्वीरों में देखें 'आयरन लेडी' जयललिता की ज़िंदगी की कहानी

India TV Entertainment Desk India TV Entertainment Desk
Updated on: December 05, 2016 12:48 IST
  • जयललिता 'अम्मा जी' को कल रात फिर हार्ट अटैक पड़ा। जिसके बाद उनके चाहने वालों की भी सांस रुक गई। अम्मा जी की तबियत 22 सितबंर से खराब चल रही है। जिसके बाद से वह हॉस्पिटल में एडमिट है।  पिछले एक माह से से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक उनका हाल-चाल जानने अस्पताल जा चुके हैं, लेकिन ये जयललिता की रहस्यमयी दुनिया है कि तमाम वीवीआईपी अस्पताल की चौखट से ही हाल-चाल जानकर लौट गए। जयललिता की जिंदगी में तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद वो शोहरत की बुलंदियों पर चढ़ती गई। एक समय वो सिल्वर स्क्रीन की सुपरस्टार थी लेकिन राजनीति में लंबी पारी खेलकर भी उन्होंने खुद को सरताज साबित किया। जानिए स्लाइड में कैसे जयललिता 'अम्मा' दक्षिण की आयरन लेडी बनी।
    जयललिता 'अम्मा जी' को कल रात फिर हार्ट अटैक पड़ा। जिसके बाद उनके चाहने वालों की भी सांस रुक गई। अम्मा जी की तबियत 22 सितबंर से खराब चल रही है। जिसके बाद से वह हॉस्पिटल में एडमिट है। पिछले एक माह से से बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के साथ वित्त मंत्री अरुण जेटली और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तक उनका हाल-चाल जानने अस्पताल जा चुके हैं, लेकिन ये जयललिता की रहस्यमयी दुनिया है कि तमाम वीवीआईपी अस्पताल की चौखट से ही हाल-चाल जानकर लौट गए। जयललिता की जिंदगी में तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद वो शोहरत की बुलंदियों पर चढ़ती गई। एक समय वो सिल्वर स्क्रीन की सुपरस्टार थी लेकिन राजनीति में लंबी पारी खेलकर भी उन्होंने खुद को सरताज साबित किया। जानिए स्लाइड में कैसे जयललिता 'अम्मा' दक्षिण की आयरन लेडी बनी।
  • 1948 में जन्मी जयललिता के बचपन की बुनियाद बेंगलुरु शहर में पड़ी, जहां उसका ननिहाल था। यहीं से इन्होंने कॉन्वेंट स्कूल से पढाई की। वह अपने स्कूल के सयम में टॉपर थी। इसके साथ ही वह अपने पढ़ाई का खर्च अपनी स्कॉलरशिप से ही करती थी। जब वह 2 साल की थी जो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता एक वकील थी। माली हालत ठीक न होने के कारण उनकी मां अपने बेटी को अपने माता-पिता के पास बेंगलुरु छोड़ गई। उनका बचपन माता-पिता के साया के बिना बीता। 10 साल की उम्र में जयललिता अपनी मां के पास चेन्नई चली गईं। जहां से ही इन्होंने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी।
    1948 में जन्मी जयललिता के बचपन की बुनियाद बेंगलुरु शहर में पड़ी, जहां उसका ननिहाल था। यहीं से इन्होंने कॉन्वेंट स्कूल से पढाई की। वह अपने स्कूल के सयम में टॉपर थी। इसके साथ ही वह अपने पढ़ाई का खर्च अपनी स्कॉलरशिप से ही करती थी। जब वह 2 साल की थी जो उसके पिता का स्वर्गवास हो गया। उनके पिता एक वकील थी। माली हालत ठीक न होने के कारण उनकी मां अपने बेटी को अपने माता-पिता के पास बेंगलुरु छोड़ गई। उनका बचपन माता-पिता के साया के बिना बीता। 10 साल की उम्र में जयललिता अपनी मां के पास चेन्नई चली गईं। जहां से ही इन्होंने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत की थी।
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जयलिलता ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया कि उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह फिल्मी माहौल में जाएं जिसके कारण उन्हें अपने माता-पिता के घर छोड़े दिया। जिसके कारण बचपन मां के सांय के बगैर बीता। जयललिता बताती है कि उनकी आदत मां का पल्लू पकड़ की सोने की आदत थी कि कहीं मां छोड़ कर चली न जाएं। लेकिन जब मां जाने लगती थी मेरी मौसी को साड़ी पकड़ा देती थी ताकि मुझे पता न चले।
    जयलिलता ने एक इंटरव्यू में इस बात का जिक्र किया कि उनकी मां नहीं चाहती थी कि वह फिल्मी माहौल में जाएं जिसके कारण उन्हें अपने माता-पिता के घर छोड़े दिया। जिसके कारण बचपन मां के सांय के बगैर बीता। जयललिता बताती है कि उनकी आदत मां का पल्लू पकड़ की सोने की आदत थी कि कहीं मां छोड़ कर चली न जाएं। लेकिन जब मां जाने लगती थी मेरी मौसी को साड़ी पकड़ा देती थी ताकि मुझे पता न चले।
  • जब अम्मो 13 साल की थी जो उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया। सबसे पहली फिल्म 'संध्या' में बतौर हीरोइन बन किया। 'संध्या' की फिल्म के प्रोड्यूसर की नज़र जयललिता पर पड़ी और उन्होंने उन्हें हिरोइन बनने का ऑफर दिया। जयललिता ने ना चाहते हुए भी फिल्मों के लिए हां बोल दिया और वो हिरोइन बन गईं।
    जब अम्मो 13 साल की थी जो उन्होंने फिल्मों में काम करना शुरु कर दिया। सबसे पहली फिल्म 'संध्या' में बतौर हीरोइन बन किया। 'संध्या' की फिल्म के प्रोड्यूसर की नज़र जयललिता पर पड़ी और उन्होंने उन्हें हिरोइन बनने का ऑफर दिया। जयललिता ने ना चाहते हुए भी फिल्मों के लिए हां बोल दिया और वो हिरोइन बन गईं।
  • मात्र 15 साल की उम्र में जयललिता ने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। इनकी खूबसूरती देख इनके पास फिल्मों की लाइन लग गई।  जिसके बाद अम्मों ने एक साथ तमिल, तेलगू, कन्नड़ फिल्मों में काम किया बहुत कम लोगों को पता है कि जयललिता ने हिंदी फिल्मों में भी काम किया और उनके हीरो धर्मेंद्र थे। इस फिल्म का नाम था इज्जत।
    मात्र 15 साल की उम्र में जयललिता ने 'एपिसल' नाम की अंग्रेजी फिल्म में काम किया। इनकी खूबसूरती देख इनके पास फिल्मों की लाइन लग गई। जिसके बाद अम्मों ने एक साथ तमिल, तेलगू, कन्नड़ फिल्मों में काम किया बहुत कम लोगों को पता है कि जयललिता ने हिंदी फिल्मों में भी काम किया और उनके हीरो धर्मेंद्र थे। इस फिल्म का नाम था इज्जत।
  • जयललिता दक्षिण की चुनिंदा हिरोइन और सियासतदान हैं, जो न सिर्फ़ हिंदी बोलती हैं बल्कि बॉलीवुड के गाने भी गुनगुनाती हैं। अम्मा ने अपने जीवन में कई हिंदी फिल्में की जिनमें सबसे ज्यादा पसंद शम्मी कपूर की जंगली और वी शांताराम की दो आंखें बारह हाथ अहम हैं।  लेकिन  साल 1960 और  साल 1970 के दशक में जयललिता की सबसे हिट जोड़ी बनी एमजीआर के साथ बनी। जिनके साथ उन्होंने 28 हिट फिल्में कीं।
    जयललिता दक्षिण की चुनिंदा हिरोइन और सियासतदान हैं, जो न सिर्फ़ हिंदी बोलती हैं बल्कि बॉलीवुड के गाने भी गुनगुनाती हैं। अम्मा ने अपने जीवन में कई हिंदी फिल्में की जिनमें सबसे ज्यादा पसंद शम्मी कपूर की जंगली और वी शांताराम की दो आंखें बारह हाथ अहम हैं। लेकिन साल 1960 और साल 1970 के दशक में जयललिता की सबसे हिट जोड़ी बनी एमजीआर के साथ बनी। जिनके साथ उन्होंने 28 हिट फिल्में कीं।
  • साढ़े तीन दशक के लंबे करियर में जयललिता ने सत्ता का शिखर देखा तो सत्ता का गर्त भी। 1982 में एमजीआर के आसरे राजनीति में आईं जयललिता ने चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पाई, तो भ्रष्टाचार के आरोपों में गंवा भी दी।। सीएम रहते पद से बेदखल हुईं तो आरोप मुक्त होने पर फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गईं। एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा का सदस्य बनाया और फिर पार्टी का चुनाव प्रचार सचिव भी। यहीं से जयललिता की किस्मत बदल गई
    साढ़े तीन दशक के लंबे करियर में जयललिता ने सत्ता का शिखर देखा तो सत्ता का गर्त भी। 1982 में एमजीआर के आसरे राजनीति में आईं जयललिता ने चार बार मुख्यमंत्री की कुर्सी पाई, तो भ्रष्टाचार के आरोपों में गंवा भी दी।। सीएम रहते पद से बेदखल हुईं तो आरोप मुक्त होने पर फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गईं। एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा का सदस्य बनाया और फिर पार्टी का चुनाव प्रचार सचिव भी। यहीं से जयललिता की किस्मत बदल गई
  • 1987 में एमजीआर की मौत के बाद उनकी पत्नी ने जयललिता को एमजीआर से दूर रखने की कोशिश की, लेकिन तमाम जलालत सहकर जयललिता तीन दिनों तक एमजीआर के शव के पास मौजूद थीं। जयललिता ने ऐसा वेश बनाया, कि जिसे देखकर एआईएडीएमके समर्थकों और नेताओं की सहानुभूति हो गई। जिसके बाद वह नेता जयललिता पूरी तरह तैयार थीं। 1987 में एम जी रामचन्द्रन के लम्बी बीमारी के बाद निधन की खबर फैलते ही पूरे तमिलनाडु में आगजनी, लूटपाट की घटनाएं हुई थी, दुकानों, बसों और सिनेमाहाल में आग लगा दी गई थी।
    1987 में एमजीआर की मौत के बाद उनकी पत्नी ने जयललिता को एमजीआर से दूर रखने की कोशिश की, लेकिन तमाम जलालत सहकर जयललिता तीन दिनों तक एमजीआर के शव के पास मौजूद थीं। जयललिता ने ऐसा वेश बनाया, कि जिसे देखकर एआईएडीएमके समर्थकों और नेताओं की सहानुभूति हो गई। जिसके बाद वह नेता जयललिता पूरी तरह तैयार थीं। 1987 में एम जी रामचन्द्रन के लम्बी बीमारी के बाद निधन की खबर फैलते ही पूरे तमिलनाडु में आगजनी, लूटपाट की घटनाएं हुई थी, दुकानों, बसों और सिनेमाहाल में आग लगा दी गई थी।
  • 2004 से 2009 तक ऐसा भी वक्त आया, जब जयललिता की पार्टी को चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने फौलादी इरादों और करिश्माई शख्सियत की बदौलत जयललिता ने एआईएडीएम को फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया।
    2004 से 2009 तक ऐसा भी वक्त आया, जब जयललिता की पार्टी को चुनावों में लगातार हार का सामना करना पड़ा, लेकिन अपने फौलादी इरादों और करिश्माई शख्सियत की बदौलत जयललिता ने एआईएडीएम को फर्श से अर्श तक पहुंचा दिया।
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अपने समर्थकों के बीच 'अम्‍मा' के नाम से मशहूर जयललिता को सत्ता में आने के बाद लगातार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा। इसी बीच गोद लिए हुए बेटे सुधाकरण की 1995 में शादी हुई। इस शादी में जयललिता का शादी अंदाज सामने आया।  डेढ़ लाख लोगों को लिए 75 हजार वर्गफीट में पंडाल बनाया गया। 300 एसी गाड़ियां, तमिलनाडु के होटलों के एक हजार कमरे बुक कराए गए थे। विवाह स्थल तक जाने वाली दो किलोमीटर लंबी सड़क से लेकर पंडाल तक में रोशनी पर 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे। शादी देखने के लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए गए... ये तमिलनाडु के अम्मा के शाही अंदाज की मुनादी थी।
    अपने समर्थकों के बीच 'अम्‍मा' के नाम से मशहूर जयललिता को सत्ता में आने के बाद लगातार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों का सामना करना पड़ा। इसी बीच गोद लिए हुए बेटे सुधाकरण की 1995 में शादी हुई। इस शादी में जयललिता का शादी अंदाज सामने आया। डेढ़ लाख लोगों को लिए 75 हजार वर्गफीट में पंडाल बनाया गया। 300 एसी गाड़ियां, तमिलनाडु के होटलों के एक हजार कमरे बुक कराए गए थे। विवाह स्थल तक जाने वाली दो किलोमीटर लंबी सड़क से लेकर पंडाल तक में रोशनी पर 50 लाख रुपए खर्च किए गए थे। शादी देखने के लिए बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए गए... ये तमिलनाडु के अम्मा के शाही अंदाज की मुनादी थी।
  • साल 1996 में जयललिता चुनाव हार गईं, और जब उनके घर छापे पड़े तो 896 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 10 हजार साड़ियां, 750 जूते और 51 घड़ियां बरामद हुईं। इन सबके लिए अम्मा के भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार ठहराया गया, लेकिन 2001 के चुनावों में जयललिता की फिर वापसी हुई।  इस बार उन्होंने एक झटके में दो लाख हड़ताली सरकार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। अब जयललिता पूरी तरह आयरन लेडी बन गई थी। उनका कद का एआईएडीएमके में कोई नहीं था।
    साल 1996 में जयललिता चुनाव हार गईं, और जब उनके घर छापे पड़े तो 896 किलो चांदी, 28 किलो सोना, 10 हजार साड़ियां, 750 जूते और 51 घड़ियां बरामद हुईं। इन सबके लिए अम्मा के भ्रष्टाचार को ज़िम्मेदार ठहराया गया, लेकिन 2001 के चुनावों में जयललिता की फिर वापसी हुई। इस बार उन्होंने एक झटके में दो लाख हड़ताली सरकार कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। अब जयललिता पूरी तरह आयरन लेडी बन गई थी। उनका कद का एआईएडीएमके में कोई नहीं था।
  • तमिलनाडु में अम्मा एक ब्रांड हैं। अम्मा थाली, अम्मा नमक,  अम्मा रसोई, अम्मा फार्मेसी और अम्मा मिनरल वॉटर की तमिलनाडु में धमक है और यही तमिलनाडु में अम्मा होने का मतलब है।
    तमिलनाडु में अम्मा एक ब्रांड हैं। अम्मा थाली, अम्मा नमक, अम्मा रसोई, अम्मा फार्मेसी और अम्मा मिनरल वॉटर की तमिलनाडु में धमक है और यही तमिलनाडु में अम्मा होने का मतलब है।