Friday, April 26, 2024
Advertisement

Movie Review Article 15: कहब तो लग जाई धक्क से

आर्टिकल 15 : अनुच्छेद 15 मूवी (2019) समीक्षा, पोस्टर, ट्रेलर, कास्ट एंड रिलीज़ की तारीख भारत में आयुष्मान खुराना की फिल्म 'आर्टिकल 15' का ट्रेलर आज रिलीज हो गया है, नवीनतम समाचार

Jyoti Jaiswal Jyoti Jaiswal
Updated on: June 28, 2019 13:46 IST
Movie Review Article 15
Photo: INSTAGRAM

Movie Review Article 15

  • फिल्म रिव्यू: आर्टिकल 15
  • स्टार रेटिंग: 3.5 / 5
  • पर्दे पर: 28 जून 2019
  • डायरेक्टर: अनुभव सिन्हा
  • शैली: क्राइम-ड्रामा

Movie Review Article 15: 'कहब तो लाग जाई धक्क से' 'आर्टिकल 15' की शुरुआत इसी लोक गीत से होती है, इस गीत में अमीरी-गरीबी, उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के बीच का जो अंतर है वो साफ बता पता चलता है और यह फिल्म इसी बारे में हैं। फिल्म की भाषा में कहें तो ये कहानी उन लोगों की है- जो कभी हरिजन बन जाते हैं, कभी बहुजन बन जाते हैं मगर जन नहीं बन पाते हैं। 'मुल्क' बनाने के बाद निर्देशक अनुभव सिन्हा राइटर गौरव सोलंकी के साथ एक और फिल्म लेकर आए हैं जिसका नाम है 'आर्टिकल 15'। इस फिल्म के जरिए निर्देशक ने आपको वो सच दिखाया है जिसे आप जानते हैं समझते हैं रोज देखते हैं लेकिन फिर भी नजरें फेरकर आगे बढ़ जाते हैं।

आयुष्मान खुराना फिल्म में अयान रंजन के किरदार में हैं जो अपर पुलिस अधीक्षक बनकर उत्तर प्रदेश के लालगांव आते हैं। यहां उनके आते ही एक बड़ी घटना हो जाती है। दो लड़कियों का शव फांसी पर लटका मिलता है और एक लड़की गुमशुदा हो जाती है। गांव में जो कुछ भी हो रहा है वो विदेश में पढ़े-लिखे अयान को चौंकाता है। यहां लोग किसी निम्न जाति वाले के यहां खाना नहीं खाते, उनका छुआ पानी नहीं पीते यहां तक कि उनकी परछाईं भी नहीं पड़ने देते हैं खुद पर। विदेश में रह रहे अयान को वहां अपने देश पर गर्व होता था लेकिन यहां अपने देश में इस तरह की घटनाएं उसे आहत करती हैं।

Movie Review Article 15

Image Source : INSTAGRAM
Movie Review Article 15

बहरहाल अयान दोनों लड़कियों के हत्यारों और गुमशुदा लड़की की तलाश में निकलता है तो हमारे सामने और भी बहुत सारी बातें सामने आती हैं, जैसे कि बलात्कारी हमारे बीच ही कोई होता है, कहीं किसी दूसरे ग्रह से नहीं आता है। वो हमारे साथ ही उठता बैठता है। 

फिल्म के कुछ सीन तो इतने लाजवाब हैं कि आप का दिल धक्क हो जाता है। जैसे सीवर में डूबकर कचरा साफ करने वाला सफाई कर्मचारी वाला सीन हो या फिर सुअर की दलदल से रास्ता पार करने वाला सीन। या फिर जब अयान सभी पुलिस कर्मियों से उनकी जाति पूछता है। एक सीन में तो चुनाव चिन्हों को लेकर बात होती है। हिंदी सिनेमा इतना बोल्ड पहले कभी नहीं रहा जहां सीधा-सीधा चुनाव चिह्नों को लेकर बात की जाए। इसके लिए अनुभव सिन्हा बधाई के पात्र हैं। 

फिल्म को भले ही काल्पनिक कहा गया हो लेकिन इस फिल्म देश में हुई कई बड़ी घटनाओं से प्रेरित दिखी है। चाहे वो निर्भया गैंगरेप हो, बदायूं रेप केस हो, घोड़ी पर चढ़ने की वजह से दलित को पीटने वाली घटना हो। ऐसे तमाम प्रसंगों को लेकर हर जगह फिल्म मेकर्स ने थोड़ी-थोड़ी चोट की गई है।

अगर आप ध्यान से देखेंगे तो आप ये पाएंगे कि कैसे एक पुलिसवाला कुत्तों को रोज बिस्किट खिलाता है, उसकी वजह से परेशान हो जाता है, लेकिन दलित उसके लिए कुत्तों से भी गैर गुजरा है। 

फिल्म के सभी कलाकारों ने शानदार प्रदर्शन किया है। आयुष्मान खुराना, मनोज पाहवा, सयानी गुप्ता, कुमुद मिश्रा, ईशा तलवार सभी का काम सराहनीय रहा है। जीशान आयूब का भी फिल्म में स्पेशल अपीयरेंस है और वो थोड़े से समय में आपको याद रह जाएंगे।

Movie Review Article 15

Image Source : YOUTUBE
Movie Review Article 15

ऐसा नहीं है कि फिल्म से सिर्फ अच्छाईयां ही हैं, फिल्म के क्राफ्ट में कमियां हैं। जैसे फिल्म का फर्स्ट हाफ बहुत स्लो है और कई बार आपके संयम की परीक्षा लेता है। इसके अलावा फिल्म की स्क्रिप्ट भी कई जगह बिखरी हुई लगेगी, लेकिन फिर भी ये फिल्म साहस करती है सच्चाई दिखाने की इसलिए  यहां इस फिल्म को पूरे नंबर मिलेंगे। 

आप यह फिल्म जरूर देखिए, क्योंकि अब फर्क लाना है। इंडिया टीवी इस फिल्म को दे रहा है 5 में से 3.5 स्टार।

Advertisement
Advertisement
Advertisement