Saturday, April 20, 2024
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बर्थडे स्पेशल: जावेद अख्तर ने ऐसे बनाई बॉलीवुड में अपनी पहचान, जानें उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

जावेद अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आए थे। उस वक्त उनके पास न खाने तक के पैसे नहीं थे...

IndiaTV Hindi Desk Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: January 17, 2018 20:27 IST
javed akhtar- India TV Hindi
javed akhtar

नई दिल्ली: जावेद अख्तर का जन्म 17 जनवरी 1945 को ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता जानिसार अख्तर प्रसिद्ध प्रगतिशील कवि और माता सफिया अखतर मशहूर उर्दु लेखिका तथा शिक्षिका थीं। उनकी माँ का इंतकाल तब हो गया था जब वे बेहद ही छोटे थे। मां के इंतकाल के बाद वह कुछ दिन अपने नाना-नानी के पास लखनऊ में रहे  उसके बाद उन्हें अलीगढ अपने खाला के घर भेज दिया गया। जहां के स्कूल में उनकी शुरुआती पढाई हुई। उसके बाद वह वापस भोपाल आ गये, यहां आकर उन्होंने अपनी पढ़ाई को पूरा किया। यहां उनके कई साथियों ने उस मुफलिसी के दौर में काफी मदद की थी।

जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं। जिनसे उन्हें दो बच्चे है फरहान अख्तर और जोया अख्तर उनके दोनों ही बच्चे हिंदी सिनेमा के जाने माने अभिनेता, निर्देशक-निर्माता हैं। उनकी दूसरी पत्नी हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री शबाना आजमी हैं।

जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा की थी। इस फिल्म में सलीम खान ने छोटी सी भूमिका भी अदा की थी। इसके बाद सलीम-जावेद की जोड़ी ने मिलकर हिंदी सिनेमा के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी।  इन दोनों की जोड़ी को उस दौर में सलीम जावेद की जोड़ी से जाना जाता था। इन दोनों की जोड़ी ने वर्ष 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमे सीता और गीता, शोले, हठी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार  जैसी फिल्मे शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीबन 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी।

1987 में प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया के बाद सलीम-जावेद की सुपरहिट जोड़ी अलग हो गई। इसके बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया।  2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया।

जावेद अख्तर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें-

1. जावेद अख्तर का असली नाम जादू है। उनके पिता की कविता थी, 'लम्हा-लम्हा किसी जादू का फसाना होगा' से उनका यह नाम पड़ा था। जावेद नाम जादू से मिलता-जुलता, इसलिए उनका नाम जावेद अख्तर कर दिया।

2. जावेद अख्तर 4 अक्टूबर 1964 को मुंबई आए थे। उस वक्त उनके पास न खाने तक के पैसे नहीं थे। उन्होंने कई रातें सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोकर बिताईं। बाद में कमाल अमरोही के स्टूडियो में उन्हें ठिकाना मिला।

3. सलीम खान से जावेद अख्तर की पहली मुलाकात 'सरहदी लुटेरा' फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थीं। इस फिल्म में सलीम खान हीरो थे और जावेद क्लैपर बॉय। बाद में इन दोनों ने मिलकर बॉलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दीं।

4. सलीम खान और जावेद अख्तर को सलीम-जावेद बनाने का श्रेय डायरेक्टर एसएम सागर को जाता है। एक बार उन्हें राइटर नहीं मिला था और उन्होंने पहली बार इन दोनों को मौका दिया।

5. सलीम खान स्टोरी आइडिया देते थे और जावेद अख्तर डायलॉग लिखने में मदद करते थे। जावेद अख्तर उर्दू में ही स्क्रिप्ट लिखते थे, जिसका बाद में हिंदी ट्रांसलेशन किया जाता था। 70 के दशक में सलीम-जावेद ने बॉलीवुड में उन बुलंदियों को छू लिया था कि पोस्टरों पर उनका भी नाम लिखा जाने लगा।

सलीम-जावेद की जोड़ी 1982 में टूट गई थी। इन दोनों ने कुल 24 फिल्में एक साथ लिखीं, जिनमें से 20 हिट रहीं। जावेद अख्तर को 14 बार फिल्म फेयर अवॉर्ड मिला। इनमें सात बार उन्हें बेस्ट स्क्रिप्ट के लिए और सात बार बेस्ट लिरिक्स के लिए अवॉर्ड से नवाजा गया।जावेद अख्तर को 5 बार नेशनल अवॉर्ड भी मिल चुका है। जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी थीं, जिनके साथ उनकी पहली मुलाकात 'सीता और गीता' के सेट पर हुई। जावेद अख्तर शुरुआती दिनों में कैफी आजमी के सहायक थे। बाद में उन्हीं की बेटी शबाना आजमी के साथ उन्होंने दूसरी शादी की।

मुझे जावेद अख्तर गीतकार के रूप में बेहद पसंद हैं। उन्होंने कई यादगार गीत लिखे हैं उनमें से कुछ ये हैं- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, ये तेरा घर ये मेरा घर किसी को देखना हो अगर, ऐ जाते हुए लम्हों जरा ठहरो जरा ठहरो, ऐसा लगता हैं, जो ना हुआ होने को हैं, चेहरा हैं या चाँद खिला हैं, जुल्फ घनेरी शाम हैं क्या, देखा एक ख्वाब तो ये सिलिसले हुए, दिल ने कहा चूपके से ये क्या हुआ चुपके से, दो पल रुका, ख्वाबो का कारवां, हमे जब से मोहब्बत हो गयी है, हर घड़ी बदल रही हैं रूप जिंदगी- कल हो ना हो, जादूभरी आँखोंवाली सुनो, तुम ऐसे मुझे देखा ना करो, जानम देख लो मिट गई दूरियां, झूठे इल्जाम मेरी जान लगाया ना करो, जिस के आने से रंगों में डूब गई हैं शाम-दिलजले

(इस ब्लॉग के लेखक नवीन शर्मा हैं)

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