नई दिल्ली: बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप ने अपने करियर की शुरुआत काफी निचले स्तर से की थी। समर्पित प्रशंसक का आधार रखने वाले अनुराग ने एक लंबा सफर तय किया है लेकिन फिल्म निर्माता का कहना है कि बॉलीवुड के घेरे में रहने के बजाय उन्हें इसकी परिधि से बाहर रहना होगा। फिल्म जगत में एक दशक से अधिक समय व्यतीत करने और कई बेहतरीन फिल्में देने वाले अनुराग ने बताया कि वह काफी सहज स्थिति में हैं और बॉलीवुड की परिधि में रहने की उनकी कोई ख्वाहिश नहीं है।
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अनुराग ने बताया, “मैं अब भी हिन्दी फिल्म जगत की परिधि से बाहर हूं। तथ्य यह है कि मैंने अब इसके घेरे का हिस्सा बनने का प्रयास छोड़ दिया है। अपने करियर और खुद के साथ, जहां मैं हूं वहां मैं काफी सहज हूं। मैं परिपक्व हो गया हूं। यह मेरे उम्र के कारण संभव हो पाया... मैं केवल फिल्में बनाना चाहता हूं।“
जिस समय रोमांटिक कहानियों पर आधारित फिल्में लोकप्रिय हो रही थी उस समय अनुराग ने अप्रिय और गंभीर कहानियों पर आधारित ‘सत्या’, ‘शूल’ और ‘कौन’ की पटकथा लिखी या निर्देशक के तौर पर शुरुआती दौर में ‘ब्लैक फ्राइडे’, ‘पांच’ और ‘नो स्मोकिंग’ का निर्देशन किया। इसके बाद ‘देव डी’, ‘गुलाल’, ‘दैट गर्ल इन येलो बूटस’ और उनकी अब तक की सबसे बड़ी हिट फिल्में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर-1’ और 2 को आलोचकों ने सराहा और उन्हें स्वीकृति मिली। दूसरी ओर हिन्दी फिल्म जगत को इसका नया विद्रोही मिला।
हालांकि निर्देशक अपने साथ किये गये कई विद्रोही के तमगे को विनम्रता से अस्वीकार कर दिया। अनुराग ने कहा कि उन्होंने कभी खुद को विद्रोही नहीं माना।