Friday, April 19, 2024
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राजगढ़ में शिवराज ‘राज’ बचाने, दिग्विजय ‘गढ़’ वापस हासिल करने की कर रहे कोशिश

मध्य प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अपना ‘राज’ बचाने, जबकि दिग्विजय अपने ‘गढ़’ को वापस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं...

IANS Reported by: IANS
Published on: May 11, 2019 18:57 IST
shivraj singh chouhan and digvijay singh- India TV Hindi
shivraj singh chouhan and digvijay singh

राजगढ़ (मप्र): मध्य प्रदेश के दो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राजगढ़ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अपना ‘राज’ बचाने, जबकि दिग्विजय सिंह अपने ‘गढ़’ को वापस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। राजगढ़ दो शब्दों- ‘राज’ और ‘गढ़’ के मेल से बना है, जहां दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों ने 12 मई को होने जा रहे लोकसभा चुनाव में अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवार को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 140 किमी उत्तर पश्चिम में और राजस्थान से लगी राज्य की सीमा पर मालवा पठार में स्थित राजगढ़ में भाजपा ने चौहान के विश्वस्त एवं मौजूदा सांसद रोडमल नागर को फिर से उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय ने अपनी विश्वस्त सहयोगी एवं पार्टी की स्थानीय नेता मोना सुस्तानी पर दांव लगाया है। वह लोकसभा चुनाव में इस इलाके से पहली महिला उम्मीदवार हैं।

इस सीट पर पिछले तीन दशकों से चुनाव के गवाह रहे दवा कारोबारी आलोक कुमार ने कहा कि यहां जो उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं वे दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के मातहत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘शिवराज यहां 2014 में शुरू हुए भाजपा के ‘राज’ को जारी रखना चाहते हैं, जबकि दिग्विजय कांग्रेस के इस ‘गढ़’ को उनसे (भाजपा से) वापस हासिल करना चाहते हैं ताकि यह स्थापित हो सके कि यह राघोगढ़ शाही परिवार का गढ़ है। इस बार राजगढ़ में यही स्थिति है।’’

राजगढ़ सीट कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के राघोगढ़ क्षेत्र में पड़ती है और वह खुद दो बार इस सीट का संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जबकि उनके भाई लक्ष्मण सिंह कांग्रेस के टिकट पर पांच बार और भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर एक बार यहां से निर्वाचित हुए।

नागर ने 2014 के चुनाव में इस सीट पर दो लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। लोग उनकी इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित लहर को देते हैं। भाजपा के स्थानीय नेताओं ने बताया कि नागर को पार्टी कैडर के एक बड़े हिस्से की आपत्ति के बावजूद टिकट दिया गया था और यह चौहान को बखूबी पता था। भाजपा के एक नेता ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘‘हालांकि, हमें यह समझ आया कि भाजपा के पास इस सीट के लिए नागर से बेहतर उम्मीदवार नहीं था और चौहान की राय भी मायने रखती थी। हमने नागर की उम्मीदवारी का (इस बार) विरोध किया है क्योंकि लोगों को लगता है कि उन्होंने पांच साल में क्षेत्र के साथ न्याय नहीं किया।’’

कांग्रेस के स्थानीय नेता प्रवीण नामदेव ने बताया कि दिग्विजय उस वक्त सुस्तानी के साथ मौजूद थे, जब उन्होंने नामांकन दाखिल किया था। साथ ही, दिग्विजय और उनके बेटे जयवर्द्धन ने सुस्तानी के लिए क्षेत्र में चुनाव प्रचार किया। सुस्तानी राजगढ़ विधानसभा सीठ से दो बार के कांग्रेस विधायक गुलाब सिंह सुस्तानी की पुत्रवधू हैं। राजगढ़ और भोपाल में एक ही साथ 12 मई को मतदान है, इसके बावजूद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय ने वक्त निकाल कर सुस्तानी के लिए वोट मांगा और क्षेत्र से दूर होने पर भी उनके चुनाव प्रचार की निगरानी की।

उल्लेखनीय है कि भोपाल में भाजपा द्वारा प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद वहां दिग्विजय को कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है। सुस्तानी ने खुद स्वीकार किया है कि वह यहां महज एक ‘चेहरा’ हैं और चुनाव राजा साहब (दिग्विजय सिंह) लड़ रहे हैं। सुस्तानी (50) ने कहा, ‘‘हम राजगढ़ और भोपाल, दोनों ही सीटें जीतेंगे। ’’ वहीं, नागर (58) देश भर के भाजपा के अधिकांश उम्मीदवारों की तरह अपने लिए वोट सुनिश्चित करने की बात करते हैं ताकि नरेंद्र मोदी 23 मई की मतगणना के बाद फिर से प्रधानमंत्री बन सकें।

भाजपा के स्थानीय नेता ने कहा कि चौहान ने इलाके में नागर के लिए कई रैलियां की हैं। उन्होंने मौजूदा सांसद के चुनाव प्रचार के लिए एक विशेष टीम को लगाया है। राजगढ़ में करीब 15 लाख मतदाता हैं। पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में इस लोकसभा क्षेत्र में आठ विधानसभा सीटों में कांग्रेस ने पांच सीट और भाजपा ने दो सीट पर जीत हासिल की थी जबकि एक सीट निर्दलीय के खाते में गई थी।

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