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Hindi News विदेश अमेरिका जानें, मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान के बारे में क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

जानें, मुसलमानों के पवित्र महीने रमजान के बारे में क्या बोले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग समुदाय सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक रोज़ा (व्रत) रखते हैं, अल्लाह की शिद्दत से इबादत करते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं।

Ramzan is when people join forces in pursuit of hope, tolerance, peace, says Donald Trump | AP- India TV Hindi Ramzan is when people join forces in pursuit of hope, tolerance, peace, says Donald Trump | AP

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि रमजान का पवित्र महीना समुदायों को साथ लाता है और लोग सहिष्णुता तथा शांति की कामना करते हुए एकजुट होते हैं। ट्रंप ने सोमवार की शाम व्हाइट हाउस में अपने प्रशासन के शीर्ष मुस्लिम सदस्यों और विभिन्न देशों के राजनयिकों के लिए इफ्तार की दावत दी थी। उन्होंने कहा कि रमज़ान अमेरिकी और दुनिया भर के मुसलमानों के लिए पवित्र महीना होता है। इस महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग समुदाय सूरज निकलने से लेकर सूरज डूबने तक रोज़ा (व्रत) रखते हैं, अल्लाह की शिद्दत से इबादत करते हैं और नमाज़ पढ़ते हैं।

राष्ट्रपति ने कहा, ‘रमज़ान में ज़कात (चैरिटी) दी जाती है और यह साथी नागरिकों की सेवा का समय होता है। यह महीना परिवारों, पड़ोसियों और समुदायों को करीब लाता है।’ व्हाइट हाउस के ‘स्टेट डाइनिंग रूम’ में अपने संक्षिप्त संबोधन में ट्रंप ने कहा, ‘रमज़ान में लोग सहिष्णुता और शांति की उम्मीद में एक साथ जुटते हैं। इसी भावना में, हम आज रात इफ्तार के लिए इकट्ठा हुए हैं। इफ्तार, रोज़ा खोलने के समय को कहते हैं।’ अमेरिकी राष्ट्रपति हर साल रमजान के पवित्र महीने में आमंत्रित अतिथियों के लिए इफ्तार की दावत देते हैं।

उन्होंने कहा, ‘आज शाम हमारी संवेदनाएं धर्मालंबियों के साथ हैं जिन्होंने हाल के हफ्तों में कई कठिनाइयों का सामना किया है। यह काफी मुश्किल वक्त रहा। न्यूजीलैंड की मस्जिदों में मारे गए मुस्लिमों के लिए हमारे दिलों में गहरी पीड़ा है। साथ-साथ हम श्रीलंका, कैलिफोर्निया और पिट्सबर्ग के ईसाइयों, यहूदी और ईश्वर की अन्य संतानों की मौत को लेकर भी दुखी हैं।’ ट्रंप ने आतंकवाद और धार्मिक अत्याचार को खत्म करने का संकल्प भी जताया ताकि लोग बिना डर और खतरे के उपासना व प्रार्थना कर सकें।

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