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SCO समिट: PM नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने मिलाए हाथ

भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया समय में भले ही तनाव देखने को मिला है लेकिन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में एक अलग ही नजारा देखने को मिला...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग और ममनून हुसैन| PTI- India TV Hindi प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, शी जिनपिंग और ममनून हुसैन| PTI

चिंगदाओ: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया समय में भले ही तनाव देखने को मिला है लेकिन शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में एक अलग ही नजारा देखने को मिला। इस शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने हाथ मिलाए और एक-दूसरे से संक्षिप्त बातचीत भी की। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के मीडिया को संबोधित करने के बाद दोनों नेताओं ने हाथ मिलाए और संक्षिप्त बातचीत की। मोदी और हुसैन चीन की मेजबानी में आयोजित 18वें SCO शिखर सम्मेलन की समाप्ति पर मीडिया ब्रीफिंग के दौरान अन्य नेताओं के साथ मौजूद थे। 

आपको बता दें कि भारत और पाकिस्तान ने इस सम्मेलन में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शिरकत की। मोदी अन्य SCO देशों के नेताओं के साथ कम से कम 6 द्विपक्षीय बैठकें कर चुके हैं लेकिन मोदी और हुसैन के बीच कोई द्विपक्षीय बैठक नहीं हुई है। मोदी ने अपने संबोधन में अफगानिस्तान की स्थिति का जिक्र करते हुए आंतकवाद की चुनौती तथा उसके प्रभाव पर चर्चा की। अपने संबोधन में उन्होंने परोक्ष रूप से पाकिस्तान पर भी निशाना साधा। वहीं हुसैन ने अपने संबोधन में इस बात का भरोसा दिलाया कि उनके देश में होने वाले आम चुनाव पाकिस्तान में आर्थिक स्थिरता को और मजबूत करेंगे। 

उन्होंने कहा कि चीन की बेल्ट एंड रोड़ परियोजना के हिस्से के रूप में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। वहीं भारत लगातार इस परियोजना का विरोध कर रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से हो कर गुजरती है। दरअसल, 2016 में उरी में सैन्य अड्डे पर पाकिस्तानी आंतकवादी संगठन के हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के संबंधों में तनाव आ गया था। इसके बाद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव को पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा जासूसी के जुर्म में मौत की सजा सुनाए जाने से संबंध और बिगड़ गए।

भारत ने अपना विरोध दर्ज कराने के लिए 2016 में इस्लामाबाद में हो रहे 19वें सार्क सम्मेलन का बहिष्कार किया था। इसके बाद अनेक देशों के इनकार के बाद शिखर सम्मेलन को रद्द कर दिया गया था। भारत का कहना है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।

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