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बेंजामिन नेतन्याहू ने PM मोदी को कहा धन्यवाद, भारत दौरे को बताया 'ऐतिहासिक'

नेतन्याहू ने साप्ताहिक बैठक की शुरुआत में अपने मंत्रिमंडल से कहा, ‘‘मैं पिछले सप्ताह भारत से एक ऐतिहासिक दौरा कर लौटा हूं...

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येरुशलम: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने अपने भारत दौरे को ऐतिहासिक बताते हुए आज कहा कि उनका यह छह दिवसीय दौरा द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में लंबे समय तक याद रखा जाएगा। नेतन्याहू 14 जनवरी को नयी दिल्ली पहुंचे थे और तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रोटोकॉल तोड़कर उनकी आगवानी की थी। नेतन्याहू ने साप्ताहिक बैठक की शुरुआत में अपने मंत्रिमंडल से कहा, ‘‘मैं पिछले सप्ताह भारत से एक ऐतिहासिक दौरा कर लौटा हूं। मैं अपने मित्र भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शानदार स्वागत के लिए धन्यवाद कहता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह हम दोनों के बीच नजदीकी संबंधों को दिखाता है, उतना ही नजदीक जो दोनों देशों और उसके लोगों के बीच है। यह एक ऐसा दौरा रहा जो लंबे समय तक याद किया जाएगा। इसने इजरायल के लिए आर्थिक, सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और कूटनीतिक क्षेत्रों में योगदान दिया है तथा आगे भी देगा।’’

नेतन्याहू के इस दौरे में मोदी अधिकांश समय उनके साथ ही रहे थे। इस दौरान दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में तालमेल तथा आपसी व्यापार बढ़ाने के लिए नौ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। नेतन्याहू ने इस मौके पर दौरे की कुछ भावुक यादें भी ताजा की। उन्होंने 2008 के मुंबई हमले में अपने माता-पिता को खेने वाले 11 वर्षीय मोशे से मुलाकात का जिक्र किया।

नेतन्याहू ने कहा, ‘‘मैं कहूंगा कि कई सारे बेहद भावुक मौके आए। उनमें से दो को मैं विशेषकर याद करूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पहली घटना मोशे से चबाद हाउस (मुंबई) में हुई मुलाकात है। वह प्यारा बच्चा पूरे यहूदी समुदाय के प्रेम के साथ अपने दादा-दादी के साथ रह रहा है। उसके भारतीय दाई सांद्रा का भी धन्यवाद जिसने उसकी रक्षा की और दौरे में भी उसके साथ रही।’’

नेतन्याहू ने कहा, ‘‘दूसरी घटना भारतीय यहूदी समुदाय से मुलाकात रही। यह वहां एक बेहद छोटा समुदाय है। लेकिन भारत के लिए उनका योगदान उनकी संख्या की तुलना में काफी अधिक है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने पीढ़ियों तक लौ को प्रज्जवलित रखा है और यहां तक उसे बचाये रखा है जब इजरायल के प्रधानमंत्री ने भारत का दौरा किया। वे वहां बोले, सभी बारी-बारी से बोले, कई खुशी से रोए जा रहे थे, और यह इसलिए नहीं कि भारत में यहूदियों का विरोध होता है, यह वहां कभी हुआ ही नहीं। यह हुआ क्योंकि उन्हें संस्कृतियों, देशों और लोगों के बीच मुलाकात की उम्मीद थी और यह उनकी आंखों के सामने हो रहा था। यह असाधारण अनुभव था।’’

नेतन्याहू के भारत दौरे से उन्हें काफी राहत मिली क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर मीडिया के हमले का सामना करना पड़ रहा था।

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