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माउंट एवरेस्ट को लेकर आमने-सामने आए चीन और नेपाल, जानें क्या है पूरा मामला

हालिया सालों में नेपाल और चीन के बीच काफी नजदीकियां आई हैं लेकिन एक मसले पर दोनों आमने-सामने आ गए हैं...

Mount Everest | Pixabay- India TV Hindi Mount Everest | Pixabay

बीजिंग: हालिया सालों में नेपाल और चीन के बीच काफी नजदीकियां आई हैं लेकिन एक मसले पर दोनों आमने-सामने आ गए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई को लेकर अभी भी नेपाल से असहमत है और विश्व की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई के अपने आंकड़े पर डटा हुआ है। चीन माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई का जो आंकड़ा दे रहा है वह नेपाल की ऊंचाई से 4 मीटर या लगभग 12 फीट कम है। इससे पहले खबर आई थी कि चीन ने नेपाल के आंकड़े को मान लिया है।

चीन की प्रतिक्रिया उन खबरों के बाद आई है जिसमें कहा गया था कि चीन पर्वत की ऊंचाई के बारे में नेपाल के आंकड़े से सहमत हो गया है जो कि करीब 4 मीटर ज्यादा है। चीन के सरकारी मीडिया ने हाल में ‘द न्यूयार्क टाइम्स’ की खबर का खंडन किया कि चीन ने पर्वत की ऊंचाई 8,848 मीटर मान ली है जो कि ‘नेपाल माउंटेनियरिंग एसोसिएशन’ के पूर्व प्रमुख आंग शेरिंग शेरपा के हवाले से है। चीनी की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि चीन ने माउंट कोमोलांगमा की ऊंचाई का आंकड़ा बदला नहीं है जो कि 8844.43 मीटर है। माउंट कोमोलांगमा माउंट एवरेस्ट का चीनी नाम है।

माउंट एवरेस्ट की चोटी ने नेपाल और चीन के बीच सीमा विवाद सुलझाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। शुरू में चीन तिब्बत को नियंत्रण में लेने के बाद पूरे पर्वत को अपनी सीमा में बताता था। हालांकि इसका समाधान 1961 में सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के हस्तक्षेप पर हुआ। उन्होंने सुझाव दिया था कि सीमा रेखा माउंट एवरेस्ट के शिखर से गुजरनी चाहिए। माओत्से तुंग के इस सुझाव पर नेपाल सहमत हो गया।

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