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Hindi News पैसा बिज़नेस हाइपरलूप 1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी

हाइपरलूप 1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी

बुधवार को अमेरिका के नॉर्थ लास वेगास में हाइपरलूप वन का पहला सफल परीक्षण हुआ। हाइपरलूप 750 मील (1227 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी।

हाइपरलूप 1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी, अमेरिका में हुआ पहला सफल परीक्षण- India TV Paisa हाइपरलूप 1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी, अमेरिका में हुआ पहला सफल परीक्षण

नई दिल्‍ली। देश में अभी सेमी बुलेट और बुलेट ट्रेन चलाने की योजनाओं काम ही हो रहा है। वहीं बुधवार को अमेरिका के नॉर्थ लास वेगास में हाइपरलूप वन का पहला सफल परीक्षण हुआ। इस ट्रेन को बनाने में जुटे शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि आने वाले सालों में वैक्यूम (बिना हवा) ट्यूब सिस्टम से गुजरने वाली कैप्सूल जैसी हाइपरलूप 750 मील (1227 किलोमीटर) प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। यानी इसकी स्पीड हवाई जहाज और बुलेट ट्रेन से दोगुनी होगी। दुनिया की सबसे तेज ट्रेन होने का गौरव हासिल करेगी।

1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी ट्रेन

हाइपरलूप वन के प्रोटोटाइप का (जिसे पूर्व में हाइपरलूप टैक्नोलॉजीज के नाम से जाना जाता था) का बुधवार को पहली बार अमेरिका के नेवाडा डेजर्ट में  में सफल परीक्षण किया गया। बताया जा रहा है कि पहले परीक्षण में हाइपरलूप वन ने 300 मील/घंटा की रफ्तार पकड़ी। इसके लिए परीक्षण स्थल नॉर्थ लॉस वेगास के नेवाडा में बनाया गया था। चुंबकीय तकनीक से लैस पॉड (ट्रैक) पर हाइपरलूप का दो मील के ट्रैक पर परीक्षण कराया गया। इस ट्रेन को बनाने वालों ने दावा किया है कि हाइपरलूप 1227 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकेगी। इस ट्रेन के ध्वनि की गति 1236 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार को छूने का लक्ष्य रखा गया है।

तस्वीरों में देखिए दुनिया की सबसे तेज ट्रेन

World fastest train Hyperloop

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साल 2018 तक पटरियों पर दौड़ेगी ट्रेन

लास वेगास में हाइपरलूप तकनीक से जुड़ी कंपनियों की बड़ी-बड़ी ट्यूबें, पॉड और अन्य उपकरण तैयार हैं। अंतरिक्ष से जुड़ी कंपनी स्पेसएक्स के मालिक एलोन मस्क इस सुपरफास्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुनिया के सामने पेश करेंगे। हाइपरलूप के पॉड धीरे-धीरे गति कम होने के साथ ही सतह को छूएंगे और यात्रियों या सामान को कोई क्षति नहीं होगी। खराब मौसम या भूकंप का भी इस पर असर नहीं होगा। बताया जा रहा है कि साल 2018 तक पहली हाइपरलूप ट्रेन पटरियों पर दौड़ाने की तैयारी है और साल 2020 तक दुनिया में परिवहन की शक्ल बदलने का लक्ष्य रखा गया है।

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