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Hindi News पैसा बिज़नेस उत्तर प्रदेश सरकार करेगी अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन पर खर्च हुए 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान

उत्तर प्रदेश सरकार करेगी अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन पर खर्च हुए 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान

उत्तर प्रदेश राज्य सूचना विभाग पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन के आयोजन में खर्च हुए 2.5 करोड़ रुपये का भुगतान करेगा।

Former PM Atal Bihari Vajpayee- India TV Paisa Image Source : FILE PHOTO Former PM Atal Bihari Vajpayee

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सूचना विभाग पिछले साल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि विसर्जन के आयोजन में खर्च हुए 2.5 करोड़ रुपए का भुगतान करेगा। सूत्रों के अनुसार, लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने बिल के भुगतान का आश्वासन मिलने पर अस्थि विसर्जन का कार्यक्रम आयोजित किया था।

बिल में मंच लगाने, साउंड सिस्टम, फूलों की सजावट, लाइट, बेरीकेडिंग आदि का खर्च शामिल है। यह मामला तब प्रकाश में आया जब एक समाचार पत्र में एलडीए के सचिव एम.पी. सिंह के हवाले से कहा गया कि राज्य सरकार ने बिलों का भुगतान नहीं किया है। इस मुद्दे पर प्रश्न करते ही वे अपने बयान से मुकर गए।

रिपोर्ट्स में कहा गया कि बिलों के भुगतान के लिए एलडीए और राज्य सूचना विभाग की ओर से एक-दूसरे को कई पत्र लिखे गए। विभाग ने 15 मई की तारीख में एक जवाब भेजा कि उसके बजट में ऐसे किसी कार्यक्रम को शामिल नहीं किया गया है।

राज्य सूचना विभाग ने प्रेस नोट किया जारी

मामले को लेकर विवाद पैदा होने के बाद, राज्य सूचना निदेशक शिशिर सिंह ने एलडीए को एक पत्र भेजकर कहा कि विभाग इन बिलों का भुगतान करेगा और इसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। वाजपेयी की अस्थियां विशेष विमान द्वारा केंद्रीय मंत्री और लखनऊ से सांसद राजनाथ सिंह के साथ लखनऊ लाई गई थीं। अस्थियों को गोमती नदी में प्रवाहित किया गया था। वाजपेयी पांच बार लखनऊ से सांसद रहे थे और लखनऊ के साथ उनका विशेष लगाव था।

गोमती नदी के तट पर हुआ था कार्यक्रम

दरअसल, 23 अगस्त 2018 को राजधानी लखनऊ के हनुमान सेतु के पास गोमती नदी के किनारे कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह व सीएम योगी भी शामिल हुए थे। इसमें कुल दो करोड़ 54 लाख 29 हजार 250 रुपये खर्च हुआ था। इस दौरान स्टेज, साउण्ड सिस्टम, लाइटिंग, टेंट, बैरीकेडिंग सहित तमाम कामों में यह रकम खर्च हुई थी। एलडीए (लखनऊ डेवलपमेंट अथॉरिटी) की ओर से ये व्यवस्था की गई। उस समय इसके लिए बजट नहीं दिया गया था, शासन ने बाद में बजट देने की बात कही थी तबसे फाइल इधर-उधर घूम रही थी।

 

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