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पश्चिमी-दक्षिणी राज्यों पर कर्ज का बोझ कई गुना बढ़ा, बकाया कर्ज 1.04 लाख करोड़ से बढ़कर 68.78 लाख करोड़ हुआ

पश्चिमी-दक्षिणी राज्यों की अगुवाई में पिछले 25 साल में बैंक कर्ज में कई गुना का इजाफा हुआ है। बकाया कर्ज 1.04 लाख करोड़ से बढ़कर 68.78 लाख करोड़ हुआ

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नई दिल्ली। पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों की अगुवाई में पिछले 25 साल में बैंक कर्ज में कई गुना का इजाफा हुआ है। RBI के राज्यवार कर्ज के आंकड़ों के अनुसार 1990 से 2015 की अवधि में कुल बकाया कर्ज 1,04,300 करोड़ रुपए से बढ़कर 68,78,500 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यह भी पढे़: राज्‍यों का वित्‍तीय घाटा FY16 में बढ़कर हुआ 4.93 लाख करोड़ रुपए, 26 साल में बढ़कर हुआ 26 गुना

पश्चिमी-दक्षिणी राज्यों का कुल बैंक कर्ज में 60 फीसदी हिस्सा

वित्त वर्ष 2014-15 तक 41,70,600 करोड़ रुपए के कुल कर्ज के साथ पश्चिमी और दक्षिणी राज्यों का कुल कर्ज में हिस्सा 60.6 प्रतिशत था।
रिजर्व बैंक की राज्यों पर सांख्यिकी की पुस्तिका-2016 के दूसरे संस्करण के अनुसार 1989-90 के वित्त वर्ष में दक्षिणी राज्यों पर बकाया कर्ज सबसे अधिक 29,600 करोड़ रुपए था, जबकि पश्चिमी राज्यों का हिस्सा 29,000 करोड़ रुपए था। जुलाई 1991 में उदारीकरण के बाद औद्योगिकीकरण में तेजी के बीच महाराष्ट्र और गुजरात ने तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को पीछे छोड़ दिया है। यह भी पढ़े: अब मोबाइल बैंकिंग से जुड़ी शिकायत भी कर सकेंगे ग्राहक, RBI ने बैंकिंग लोकपाल की शक्तियों को और बढ़ाया

पश्चिमी राज्यों पर सबसे अधिक कर्ज बोझ

रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक कर्ज का बकाया पश्चिमी राज्यों पर है। मार्च, 2015 के अंत तक इन राज्यों पर कुल बकाया कर्ज का एक तिहाई हिस्सा यानी 23,39,900 करोड़ रुपए था। इसके बाद दक्षिण के राज्यों का नंबर आता है जिनका कुल बकाया कर्ज 18,30,700 करोड़ रुपए था। यह भी पढ़े: RTI से हुआ बड़ा खुलासा, लॉकर में रखी कीमती चीजों को नुकसान पहुंचने पर बैंक नहीं होगा जिम्‍मेदार

पूर्वोत्तर पर सबसे कम बकाया कर्ज

मार्च, 2015 के अंत तक उत्तरी राज्यों पर बकाया कर्ज 15,86,800 करोड़ रुपए था। वहीं मध्य और पूर्वी क्षेत्रों का बकाया कर्ज निचले स्तर क्रमश: 5,50,200 करोड़ रुपए और 5,17,300 करोड़ रुपए था। पूर्वोत्तर राज्यों पर बकाया कर्ज काफी कम यानी 53,600 करोड़ रुपये था।

गुजरात पर कर्ज बोझ कई गुना बढ़ा

आंकड़ों के अनुसार पश्चिमी क्षेत्रों में 2014-15 तक महाराष्ट्र को सबसे अधिक 19,77,300 करोड़ रुपए का कर्ज मिला था, जो 1989-90 में 6,33,800 करोड़ रुपए था। 2014-15 तक गुजरात का बैंक कर्ज बकाया बढ़कर 3,47,100 करोड़ रुपए हो गया जो 1989-90 में 76,400 करोड़ रुपए था। मार्च, 2015 के अंत तक पंजाब और राजस्थान का बकाया कर्ज क्रमश: 1,96,600 करोड़ रुपए और 2,03,000 करोड़ रुपए था।यह भी पढ़ें : बुलेट के बाद अब सस्ते हुए TVS मोटर की बाइक और स्कूटर्स, GST से पहले कीमतों में की कटौती

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