Hindi News पैसा बिज़नेस कंगाल पाकिस्तान की हालत और बिगड़ी, 6 अरब डॉलर की सहायता के बावजूद पाकिस्तानी मुद्रा सबसे निचले स्तर पर

कंगाल पाकिस्तान की हालत और बिगड़ी, 6 अरब डॉलर की सहायता के बावजूद पाकिस्तानी मुद्रा सबसे निचले स्तर पर

पाकिस्तान के आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं ये तो जगजाहिर है लेकिन मौजूदा दौर में पाकिस्तानी मुद्रा रिकॉर्ड अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान के रुपए की कीमत काफी गिर गई है।

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कराची। पाकिस्तान के आर्थिक हालात ठीक नहीं हैं ये तो जगजाहिर है लेकिन मौजूदा दौर में पाकिस्तानी मुद्रा रिकॉर्ड अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान के रुपए की कीमत काफी गिर गई है। पाक रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। मंगलवार को लगातार चौथे कारोबारी दिन पाकिस्तानी मुद्रा ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य को गंवाया। कारोबारी चार दिनों में पाकिस्तानी मुद्रा ने अमेरिकी डॉलर के मुकाबले सात फीसदी या 9.60 रुपए से अधिक गिरावट का सामना किया है।

पाकिस्तान आर्थिक मसले पर पस्त नजर आ रहा है। बीते गुरुवार को 152.25 रुपए प्रति डॉलर के ताजा सर्वकालिक निम्न स्तर पर पहुंच गया, जबकि खुले बाजार में मंगलवार को इसमें 153.50 के स्तर पर कारोबार हो रहा था। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कहा कि उसके विचार में विनिमय दर में हालिया उतार चढ़ाव अतीत के संचित असंतुलन तथा आपूर्ति एवं मांग पहलु की कुछ भूमिका को दर्शाता है। केंद्रीय बैंक ने जारी अपने नए मौद्रिक नीति बयान में कहा कि विनिमय दर पिछले कुछ दिनों में दबाव में आई है।

उन्होंने कहा कि बैंक स्थिति पर कड़ी निगरानी रखेगा और वह विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी तरह की अनियंत्रित अस्थिरता को दूर करने के लिए आवश्यकतानुसार उपाय करने के लिए तैयार है। बाजार की ताकतों को विनिमय दर का निर्धारण करने के लिए अधिक छूट देने की अनुमति सहित सख्त शर्तों के तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) द्वारा छह अरब डॉलर के सहायता पैकेज दिए जाने के बाद रुपए में यह गिरावट आई है। पाक सरकार ने बीती 12 मई को ऋण कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए और तब से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए के मूल्य में गिरावट जारी है।

वित्तीय और बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में रुपए का मूल्य घटना उम्मीद के अनरूप है, क्योंकि आईएमएफ की नवीनतम राहत पैकेज देने की प्राथमिक शर्त यह थी कि सरकार अंतर-बैंक बाजार को सरकारी नियंत्रण से मुक्त छोड़ दे। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री इमरान खान की अर्थव्यवस्था को संभालने के तरीके की आलोचना करते हुए कहा कि पिछले साल अगस्त में उनके पदभार संभालने के बाद से देश की वित्तीय समस्याएं बढ़ गई हैं। 

 

 

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