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Hindi News पैसा बिज़नेस विजय माल्या के वकीलों ने वेस्‍टमिंस्‍टर कोर्ट में किया बचाव, बोले धोखाधड़ी के पक्ष में साक्ष्य उपलब्ध नहीं

विजय माल्या के वकीलों ने वेस्‍टमिंस्‍टर कोर्ट में किया बचाव, बोले धोखाधड़ी के पक्ष में साक्ष्य उपलब्ध नहीं

शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों के दल ने आज यहां स्थानीय आलदत में उनका पुरजोर बचाव किया। उनके वकीलों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा दायर धोखाधड़ी के इस मामले के समर्थन में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं।

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लंदन। शराब कारोबारी विजय माल्या के वकीलों के दल ने आज यहां स्थानीय आलदत में उनका पुरजोर बचाव किया। उनके वकीलों ने कहा कि भारत सरकार द्वारा दायर धोखाधड़ी के इस मामले के समर्थन में कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। भारत में 9,000 करोड़ रुपए की कर्ज धोखाधड़ी तथा मनी लांड्रिंग मामले में वांछित 61 वर्षीय विजय माल्या वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत में मंगलवार को पहुंचे। बैरिस्टर क्लेयर मोंटगोमरी की अगुवाई में उनकी टीम ने दलीलों की शुरुआत करते हुए कहा कि धोखाधड़ी मामले के पक्ष में सबूत नहीं हैं।

मामले की सुनवाई के पहले दिन भारत सरकार की तरफ से पैरवी कर रही क्राउन प्रोसेक्‍यूशन सर्विस (CPS) ने अपनी दलीलें रखी थी। उसका इस बात पर जोर था कि माल्या को धोखाधड़ी के मामले में जवाब देना है। मोंटगोमरी ने दावा किया कि सीपीएस द्वारा भारत सरकार के निर्देश पर प्रस्तुत किए गए साक्ष्य नगण्य हैं और यह भारत सरकार की नाकामी है।

उन्होंने दावा किया, सरकार के पास इस तर्क के समर्थन में कोई भरोसेमंद मामला नहीं है कि विजय माल्या द्वारा लिया गया कर्ज धोखाधड़ी था और उनका ऋण वापस करने का कोई इरादा नहीं था। उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है कि किसी विमानन कंपनी का मुनाफा आर्थिक पक्षों पर निर्भर करता है जो कि मुख्यत: चक्रीय होता है और यह कंपनी के नियंत्रण से बाहर होता है।

सीपीएस ने कल हुई सुनवाई के दौरान माल्या पर तीन स्तर पर बेईमानी करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि सबसे पहले बैंकों से ऋण लेने के लिए गलत प्रस्तुति की गई, उसके बाद धन का दुरुपयोग हुआ और अंत में बैंकों द्वारा ऋण वापस मांगे जाने पर भी गलत कदम उठाए गए।

सीपीएस के वकील मार्क समर्स ने कहा कि एक ईमानदार आदमी की तरह व्यवहार करने या करारनामे के हिसाब से काम करने के बजाय वह बचाव के प्रयास करते रहे। समर्स ने अदालत से कहा, भारत सरकार ने कहा है कि एक अदालत द्वारा यह निष्कर्ष निकालने के पर्याप्त कारण हैं कि बैंकों के कर्ज धोखाधड़ी की जद में थे और आरोपी का इनके भुगतान का कभी इरादा नहीं था। सीपीएस ने इससे पहले स्वीकार किया था कि बैंकों द्वारा कर्ज को मंजूरी देते समय आंतरिक प्रक्रियाओं में कुछ अनियमितताएं हुई होंगी लेकिन इस मुद्दे पर भारत में बाद में सुनवाई होगी।

समर्स ने कहा कि मामले में जोर माल्या के आचरण तथा बैंकों को गुमराह करने एवं कर्ज राशि के दुरुपयोग पर है। उन्होंने मामले में पूरे घटनाक्रम को विस्तार से बताया। इसमें नवंबर 2009 में किंगिफशर एयरलाइंस द्वारा आईडीबीआई बैंक से लिये गए कर्ज पर विशेष जोर था।

माल्या को स्कॉटलैंड यार्ड ने इस साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वारंट पर गिरफ्तार किया था। वह 6.5 लाख पौंड की जमानत पर बाहर हैं। इस दौरान माल्या खुद ही मार्च 2016 से भारत से बाहर ब्रिटेन में रह रहे हैं। मामले में न्यायधीश ने मामले के अंत में यदि प्रत्यर्पण के पक्ष में फैसला दिया तब ब्रिटेन के गृहमंत्री को दो महीने के भीतर माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश जारी करना होगा। हालांकि, मामला खत्म होने से पहले ब्रिटेन की ऊपरी अदालतों में कई अपीलों से भी गुजर सकता है।

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